रामकथा हमें सर्वस्व त्याग की देती है प्रेरणा- राजर्षि गांगेय हंस
सांस्कृतिक कार्यक्रमों ने दर्शकों की खूब तालियां बटोरी
आजमगढ़: संस्कृति विभाग उत्तर प्रदेश, जिला प्रशासन एवं लोक दायित्व के संयुक्त तत्वावधान में हरिऔध कला केंद्र में आयोजित रामायण कांक्लेव के दूसरे दिन शुक्रवार को उद्घाटन सत्र में प्रख्यात राष्ट्र संत राजर्षि गांगेय हंस ने राष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य में रामकथा विषय पर अपने विचार प्रस्तुत किए। राष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य में जन जन के राम को प्रस्तुत करते हुए उन्होंने माता कैकयी को पूरी राम कथा का आधार बताया। माता कैकयी के दो वरदान राम कथा की कड़ी है। राम कथा हमें राष्ट्र, संस्कृति और धर्म के रक्षा के लिए सर्वश्व त्याग करने की प्रेरणा देती है। कहा कि मानस एक भक्ति प्रधान ग्रंथ है जिसमें भगवान शिव से लेकर हनुमान तक भक्ति की याचना करते है। लेकिन वह भक्ति दो लोगो को बिना याचना के भगवान राम देते है वह दोनों शबरी और केवट है। यही उदाहरण इस बात के लिये पर्याप्त है कि तुलसी दलित विरोधी नहीं थे। उन्होंने कहा कि भगवान भक्ति में लीन व्यक्तियों को मिलते है। सबरी के जुटे बेर खाये, निषाद राज को गले लगाया। भगवान राम का समाज के सभी जन के प्रति समभाव था। आज इसी की जरूरत है। इसके पूर्व कार्यक्रम का शुभारंभ डॉ. दुर्गा प्रसाद अस्थाना, विजय प्रकाश सिंह, जयंत गुप्ता, सुभाष चंद्र सिंह, संतोष श्रीवास्तव द्वारा दीप प्रज्ज्वलन करके किया गया। संयोजक पवन कुमार सिंह ने अतिथियों का स्वागत एवं आभार व्यक्त किया। रामायण सर्किट के चेयरमैन राम अवतार शर्मा ने राम के वन और आगमन स्थलों पर विस्तार से प्रकाश डाला। राम वन गमन स्थलों की चर्चा करते हुए उन्होंने अपने अनुभवों को साझा किया। कहा कि राम के वन गमन और आगमन स्थल आज भी है जीवंत। जंगल में एक मंदिर में अदृश्य शक्ति द्वारा कराए गए भोजन की कहानी सुनाई।कहानी सुनकर श्रोताओं के रोंगटे खड़े हो गए। रामायण कॉन्क्लेव के दूसरे दिन सांस्कृतिक कार्यक्रमों ने दर्शकों की खूब तालियां बटोरी। कलाकारों ने अपनी प्रस्तुति से रामायण अलंकार जी ने शबरी के राम, वीरेंद्र भारती के द्वारा गीत, संस्कार भारती के 42 कलाकारों की टीम द्वारा नृत्य नाटिका द्वारा रामायण प्रस्तुत किया गया। अंत में राम रावण के संवाद सुन दर्शकों की आँखें भर आईं। डायट के विद्यर्थियों द्वारा जन्में अवध में राम मंगल गाओ री गीत पर प्रस्तुति दी। इसके साथ ही पल पल है भारी विपदा है आई मोहे बचाने अब आओ रघुराई काव्य नाटक में लंका में सीता की दशा को प्रस्तुत किया। राम जी की प्यारी राजधानी लागे की प्रस्तुति हुई। इनका संयोजन डॉ भावना मिश्रा ने किया। प्रत्यक्षा तिवारी ने राम सिया राम सिया राम जय जय राम गीत पर नृत्य प्रस्तुत किया।तपस्या क्रिएटिव स्कूल के बच्चों जय श्री राम द्वारा प्रस्तुति दी गई। हनुमान चालीसा पर अम्बुज के निर्देशन पर 22 कलाकारों ने शानदार प्रस्तुति दी। सजाओ दो घर को गुलशन सा मेरे भगवान आये है गीत की प्रस्तुति सान्या एवं स्नेहा गुप्न ने दी। इसके साथ ही कई कार्यक्रम प्रस्तुत हुए संचालन अरविंद सिंह ने किया। इस अवसर पर डॉ दिग्विजय सिंह राठौर, डॉ पंकज सिंह, रंगकर्मी संतोष श्रीवास्तव, डॉ भक्तवत्सल, डॉ संतोष सिंह, उमेश सिंह राठौर,डॉ त्रिपुरारी, विजय पायलट, डीपी तिवारी, विवेक कुमार, पूनम सिंह,अभिषेक राय, पूनम सिंह, पूनम तिवारी, अंजू राय, दीक्षा त्रिपाठी, डॉ घनश्याम दुबे समेत तमाम लोग मौजूद रहे।
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