'सुलगती स्वतंत्रता' एवं ' निठारी का दर्द' पुस्तक का विमोचन समारोह संपन्न
आजमगढ़: कविता संवेदना की चीज है, भौतिकवाद के कारण कविता कर्म कठिन हो गया है। कविता कथ्य की मोहताज होती है, शिल्प की नहीं .... वह कलेवर से नही तेवर से जानी जाती है... ये बातें साहित्य भूषण साहित्यकार राजाराम सिंह ने रविवार को नगर के एक होटल में आयोजित पुस्तक विमोचन समारोह एवं काव्य संध्या कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए कहीं। यह कार्यक्रम साहित्य सेवी स्वर्गीय बनवारी लाल यादव की पुण्यतिथि पर उनके द्वारा रचित पुस्तक" सुलगती स्वतंत्रता " एवं उनकी पुत्री रचनाकार सरोज यादव की लिखित पुस्तक "निठारी के दर्द" के विमोचन के लिए विभिन्न साहित्यिक संस्थाओं के सहयोग से आयोजित किया गया था। इस अवसर पर मुख्य अतिथि उप महानिदेशक निबंधन कमला प्रसाद ने कहा कि साहित्य सृजन में आज बेटियां पिता की धरोहर को आगे बढ़ा रही हैं। कार्यक्रम में स्व बनवारीलाल की पुस्तक सुलगती स्वतंत्रता के समीक्षात्मक व्याख्यान में पूर्व प्राचार्य द्विजराम यादव ने कहा कि सामाजिक विषमता पर केंद्रित यह पुस्तक अनेक विसंगतियों मसलन शिक्षा एवं आर्थिक विषमता को उजागर करती है । उसी क्रम में साहित्यकार जगदंबा दुबे ने "निठारी के दर्द" की समीक्षा पर कहा कि पुस्तक का लोकार्पण पुत्र जन्म के समान होता है । यह पुस्तक सामाजिक विद्रूपता और विसंगतियों जैसी ज्वलंत समस्याओं को हम सबके सामने लायी है। राजेन्द्र प्रसाद राहगीर ने कहा कि लेखक को हिंदुस्तान की आजादी तो अच्छी लगी परंतु आजादी के बाद का हिंदुस्तान अच्छा नहीं लगा। सत्ता पाने के बाद भारतीयों की मनोदशा अंग्रेजों जैसी हो गई।कार्यक्रम को नरेंद्र नाथ कमला प्रसाद राजाराम यादव आदि ने संबोधित किया। कार्यक्रम का आरंभ दीप प्रज्वलन करके किया गया। सरस्वती वंदना रोशनी गौड़ ने की। आगंतुक अतिथियों का स्वागत कार्यक्रम की आयोजक साहित्यकार सरोज यादव ने किया। कार्यक्रम का संचालन अंशु अस्थाना ने किया धन्यवाद ज्ञापन साहित्यानुरागी की अध्यक्ष एवं कार्यक्रम की संयोजक डॉ मनीषा मिश्रा ने किया। इस अवसर पर मुख्य अतिथि एवं अन्य अतिथियों को स्मृति चिह्न, शाल देकर सम्मानित किया गया। कार्यक्रम के द्वितीय चरण में काव्य संध्या का आयोजन वरिष्ठ साहित्यकार कवि भालचंद्र त्रिपाठी की अध्यक्षता में किया गया। उन्होंने अपनी कविता परों को बांधो न तुम उसकी उड़ान न लो किसी गरीब परिंदे का आसमान न लो देखने वालों को बुरा लग जाए तुम उसका इम्तहान न लो सुना कर मंत्रमुग्ध कर दिया। काव्य संध्या का संचालन ईश्वरचंद त्रिपाठी ने किया। इस अवसर पर सरोज यादव ,संदीप गांधी निहाल ,ताज आजमी, राजनाथ राज, कमला सिंह तरकस ,आशा सिंह ,विश्वासी जी, बैजनाथ गवार, कृष्ण देव घायल, सोहन लाल गुप्ता ,घनश्याम यादव, बाले दीन बेसहारा एवं राहगीर ने अपनी अपनी रचनाओं के माध्यम से काव्य संध्या को सजाया। इस अवसर पर प्रीति गुप्ता, स्नेह लता राय ,प्रतिभा पाठक ,विदुषी अस्थाना, अनीता श्रीवास्तव, रुद्रनाथ चौबे,विजय यादव डॉक्टर भक्तवत्सल, रुक्मणी कुशवाहा शिखा मौर्य,ममता पंडित , रेखा पांडेय,अनुपम आदि साहित्य प्रेमी मौजूद थे।
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