बदलते दौर में पत्रकारिता में तकनीकी की दखल हो गई है काफी अधिक : विजय यादव
हिन्दी पत्रकारिता दिवस पर आयोजित हुई संगोष्ठी
आजमगढ़: तमसा प्रेस सभागार में मंगलवार को हिन्दी पत्रकारिता दिवस पर संगोष्ठी आयोजित हुई। पूर्वांचल विश्वविद्यालय के पत्रकारिता विभाग के सहायक प्रोफेसर दिग्विजय सिंह राठौर ने पत्रकारिता एवं मीडिया अध्ययन व इंटरनेट मीडिया के युग में हिन्दी पत्रकारिता की स्थिति विषय पर पर विस्तृत प्रकाश डाला। उन्होंने पत्रकारों को हिन्दी भाषा के साथ ही बदलते परिवेश में पत्रकारिता के दायित्व के प्रति प्रेरित करने पर जोर दिया। दिग्विजय सिंह राठौर ने हिन्दी के प्रथम समाचार पत्र उदंत मार्तंड के विषय में बताया कि इस समाचार पत्र का प्रकाशन वर्ष 1826 में हुआ था। तबकि पत्रकारिता से लेकर वर्तमान की पत्रकारिता में काफी बदलाव हुआ। जो पत्रकार समय के साथ अपने में बलाव नहीं किये वे पत्रकारिता से दूर हो गए। इसी के साथ ही उन्होंने आजादी के आंदोलन से लेकर वर्तमान तक के पत्रकारिता में हुए परिवर्तनों पर प्रकाश डाला। पत्रकार धर्मेंद्र श्रीवास्तव ने खबरों के कापी पेस्ट व हिन्दी पत्रकारिता में मिश्रित भाषा के प्रयोग होने के विषय को उठाया। पत्रकार सचिन श्रीवास्तव ने पत्रकारिता में शामिल वर्तमान पत्रकारों की कार्य शैली को लेकर चिंता जताई। उन्होंने कहा कि नई पीढ़ी के पत्रकारों को पत्रकारिता के विषय पर अध्ययन करनी चाहिए। पत्रकार राजीत यादव चंदन ने हिंदी पत्रकारिता की संघर्ष और विकास यात्रा को बताया। साहित्यकार रविन्द्र नाथ राय ने कहा कि लेखक होना गौरव की बात है, पत्रकार बनना चुनौतीपूर्ण है। आज पत्रकारिता में शोध की आवश्यकता है। हालांकि रोजगार के साथ चुनौतियां कम नहीं हैं। एक अच्छे पत्रकार को टीआरपी से ज्यादा देश, दुनिया की चिंता करनी चाहिए। रत्न प्रकाश त्रिपाठी ने कहा कि पत्रकार को अपनी नैतिक जिम्मेदारी का ईमानदारी से पालन करना चाहिए। पाठकों की भी जिम्मेदारी है कि वह क्या पढ़ना पसंद करते हैं। अपने अध्यक्षीय संबोधन में तमसा प्रेस क्लब के अध्यक्ष अशोक वर्मा ने कहा कि पत्रकार शासन व जनता के बीच सेतु का काम करता है। पहले एक दौर था जब चुनिंदा पत्रकार होते थे आज पत्रकारिता में रोजगार की कोई कमी नहीं है। लेकिन उसके लिए स्वयं को साबित करने की आवश्यकता है। संगोष्ठी का संचालन करते हुए दैनिक देवव्रत समाचार पत्र के प्रधान संपादक विजय यादव ने कहा कि पत्रकारों के बीच हिंदी को देखने का नजरिया होना चाहिए। बदलते दौर में पत्रकारिता में तकनीकी की दखल काफी अधिक हो गई है, तकनीकी ने पत्रकारिता में रोजगार के अवसर को बढ़ाया हैं। तकनीकी के माध्यम से सुविधा के साथ ज्ञान में वृद्धि भी हुई है। आज साक्षरता की भाषा तकनीकी के ज्ञान के द्वारा पहचानी जाती है। संगोष्ठी में वरिष्ठ पत्रकार संदीप उपाध्याय, वेद प्रकाश सिंह लल्ला, मनोज जायसवाल, रामसिंह यादव, शीतला त्रिपाठी, अंबुज राय, दीपक प्रजापती, उदयराज शर्मा, सोनू सेठ, विवेक गुप्त आदि लोग मौजूद रहे।
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