नए संसद भवन के उद्घाटन पर पंकज मोहन सोनकर के विचार...
आजमगढ़: नये संसद भवन के उद्घाटन के अवसर पर आज यह प्रश्न उठ खड़ा हुआ है कि कांग्रेस सपा जदयू जैसे राजनीतिक दल विपक्षी दल हैं या विरोधी दल है यदि हम इनके कार्यकलाप एवं वक्तव्यों को देखें तो ऐसा प्रतीत होता है कि यह दल अब विपक्ष कम और विरोधी अधिक हो गए हैं ! हालात यहाँ तक पहुँच गए हैं कि इन दलों को अब यह ज्ञात नहीं है किस मुद्दे पर विरोध करना है और किसका नहीं करना है ।मोदी जी का विरोध करते करते अब यह दल देश विरोधी हरकतें कर रहे हैं । यदि हम नए संसद भवन की बात करें तो यह जानना अति आवश्यक है की इस भवन का निर्माण दिल्ली में चल रहे सेंट्रल विस्टा परियोजना के अन्तर्गत किया गया है इन विपक्षी दलों ने तो इस परियोजना का विरोध यह कहकर किया था यह पैसे की बर्बादी है इनकी सोच के अनुसार जब ये दल इस परियोजना के विरुद्ध है तो उसी परियोजना के अंतर्गत निर्मित संसद भवन का स्वागत कैसे कर सकते हैं ? संसद भवन के उद्घाटन को लेकर इनके द्वारा उठाए गए प्रश्न इनकी इसी विकृत मानसिकता को दर्शाता है कदाचित हर देश की राह में ऐसे पड़ाव आते हैं जहाँ देश की दिशा बदल जाती है हमें यह मानना होगा कि भारत में यहाँ पड़ाव 2014 में आया था । 2014 के पश्चात भारत दूसरा पर चल पड़ा है जहाँ उसे स्वाधीनता प्राप्त करने के तुरंत बाद चलना चाहिए था या नया संसद भवन उसमें भारत का प्रतिबिम्ब है जो आज नयी उम्मीदों नई उमंग के साथ अपनी प्रगति की नई राह पर मोदी जी के नेतृत्व में तेज़ी से अग्रसर है यदि मोदीजी न होते तो न तो भारत इतनी तीव्र गति से प्रगतिशील होता और न ही नए संसद भवन का निर्माण होता । यह सारा प्रकरण मोदी जी की सोच और परिश्रम का फल है इनमें दो राय नहीं होनी चाहिए जिसने नेतृत्व किया है वही सदन का उद्घाटन भी करेगा यह उचित ही नहीं अपितु स्वाभाविक है जहाँ तक सेंगोल का प्रश्न है उसका उचित स्थान लोक सभा अध्यक्ष के सानिध्य में ही है । सेंगोल का इससे बेहतर और कोई स्थान हो ही नहीं सकता कांग्रेस की मानें तो इसे प्रयागराज मे गांधी परिवार के निजी संग्रहालय में ही रखा जाना चाहिए था इसकी पवित्रता को नकारते हुए इसे पंडित नेहरू की छड़ी इस संज्ञान देकर दशकों से अपमानित किया जा रहा था । यहाँ पर यह बताना आवश्यक हो जाता है कि सेंगोल को 19,47 में राजाजी राजगोपालाचारी जी की सलाह पर पंडित नेहरू को राज्य के पवित्र आभूषण के रूप में भेंट किया गया था यह आभूषण एक ऐसी कड़ी है जो हमें हज़ार साल तक न की ग़ुलामी बेड़ियों को तोड़कर स्वतंत्र भारत को अपनी पुरातन सभ्यता से जोड़ता है । साथ ही यह आभूषण हमारी संस्कृति का प्रतीक भी है जो हमें न्याय और धर्म के मार्ग पर अग्रसर होने के लिए प्रोत्साहित करता है । इस सेंगोल को संपूर्ण सनातन रीतियों के साथ मोदी जी ने उसे नवीन संसद में स्थापित किया जहाँ उसे 1947 में स्थापित होना चाहिए था । मोदी जी ने सेंगोल को स्थापित कर इसे वह सम्मान दिया है जो इसे पंडित नेहरू जी को देना चाहिए था इन विपक्षी दलों के मन में एक कारण और यह है जिसके चलते हैं इन्होंने उद्घाटन समारोह का बहिष्कार किया था इनको लगता है कि यदि वे इस समारोह में सम्मिलित हो गए होते तो इससे जनता को यह प्रतीत होगा की जो मोदीजी कर रहे हैं वह सही है और ये दल देश की जनता को कभी जताना नहीं जाएंगे कि वे मोदी जी के किसी काम से सहमत हैं इसी लिए नए संसद भवन का विरोध करना उनकी मजबूरी हो गई है जो कारण इन्हें ढूंढ रहे हैं वह तो केवल एक बहाना है यदि सेंगोल या कौन उद्घाटन कर रहा है जैसे बहाने न होते तो इन विरोधी दलों ने कोई और बहाना ढूंढ लिया होता है जो भी हो भाजपा इन विरोधी दोनों की हर चाल को नाकाम करने के लिए न सिर्फ़ तैयार है अपितु प्रतिबद्ध भी है । वैसे तो विपक्षी दलो कॉंग्रेस सपा जदयू के देश विरोधी हरकतों के अनेकों उदाहरण है परंतु यदि मैं उन सभी को गिनाने चलूँ तो यहाँ जगह कम पड़ जाएगी फिर भी उसमें से कुछ मुद्दों का उल्लेख करना अनुचित नहीं होगा इनमें सबसे प्रमुख है कांग्रेस का कश्मीर से धारा 370 हटाने का विरोध करना । इस अत्यंत महत्वपूर्ण मुद्दे के विरोध में कांग्रेस सर्वोच्च न्यायालय तक पहुँच गई थी जिसने इनकी दलील को न मानते हुए निरस्त कर दिया था । दूसरा मुद्दा जिस पर कांग्रेस ने अनुचित विरोध किया वह राफ़ेल विमानों को लेकर था इस राष्ट्रीय सुरक्षा की अत्यंत महत्वपूर्ण मुद्दे का भी कांग्रेस ने ऐसे समय विरोध किया था जब चीन हमारी सेना को सीमाओं पर आंखें दिखाने का प्रयास कर रहा था ।
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