संगीत महाविद्यालय का मॉडल |
प्रयागराज के हंडिया से आए पंडित हरिनाम दास व सरिनाम दास का कुनबा बना घराना
पंडित छन्नूलाल मिश्र, अंबिका मिश्र सरीखी विभूतियाें से है गहरा नाता
आजमगढ़ : केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के संयुक्त रूप से संगीत महाविद्यालय का शिलान्यास किए जाने के साथ ही हरिहरपुर घराना का 400 साल पुराने सफर को पहला मुकाम मिल जाएगा। इस नींव पर तनी इमारत पूर्वांचल ही नहीं, बल्कि पूरे उत्तर प्रदेश में संगीत को नया आयाम देगी। वर्ष 2022 में चार अगस्त को मुख्यमंत्री ने संगीत का गुरुकुल कहे जाने वाले इस गांव में संगीत महाविद्यालय बनाने की घाेषणा की थी। शिलान्यास संग पूरे हुए पहले मुकाम के पीछे कुछ है, तो छोटे से गांव के बच्चे-बड़ों में जाति-धर्म से ऊपर उठ संगीत साधना करने की ललक...। यहां सुबह-शाम सारंगी-तबले के साथ हारमोनियम की जुगलबंदी के बीच घर-घर से निकलने वाले सुर मंत्रमुग्ध कर देते हैं। वाराणसी से करीब 106 किमी और आजमगढ़ शहर से छह किमी दूर स्थित पांच हजार की आबादी वाला गांव हरिहरपुर घराना के रूप में कैसे हुआ विख्तात ...।
कुछ इस तरह गांव से घराना बन विख्यात हुआ हरिहरपुर::::
-प्रयागराज के हंडिया निवासी दो सगे भाई पंडित हरिनाम दास व सरिनाम दास गीत-संगीत की कद्र किए जाने की जानकारी मात्र होने पर घर-बार छोड़ हरिहरपुर गांव में आकर बस गए। उसका शिला भी मिला, जब आजमगढ़ को बसाने वाले आजम शाह के पूर्वजों ने संगीत कला से खुश हो 989 बीघा जमीन दान में दी थी। दोनों भाई गायन-वादन में निपुण, लेकिन सरिनाम के ब्रह्मचर्य होने से हरिनाम का कुनबा बढ़ता गया। ग्रामीण भी गीत-संगीत के कद्रदान थे, लिहाजा गांव की पहचान कब घराना बन गई, पता ही नहीं चला। ब्राह्मण परिवार ने कजरी, ठुमरी, दादरा, होली गीतों को गायन-वादन को सुरों की माला में ऐसे पिरोया कि समूचा गांव संगीत का गुरुकुल बन गया।
संगीत महाविद्यालय के जरिए सरकार बनेगी विकास का हमसफर::::
हरिहरपुर की मिट्टी में जन्मे पद्मविभूषण पंडित छन्नूलाल मिश्र की पहचान विश्व पटल पर है। इनके अलावा राष्ट्रपति अवार्डी पंडित योगेश मिश्र, वीरेंद्र मिश्र, उदय शंकर मिश्र, दुर्गेश मिश्र, हृदय नारायण मिश्र, त्रिपुरारी मिश्र इत्यादि ने अलग-अलग विधाओं में गीत-संगीत काे देश में नई ऊंचाइयां दीं। इस गांव की कई विभूतियां उत्तर मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र के सदस्य हैं। बहुतेरे कलाकार राष्ट्रीय युवा महोत्सव में गोल्ड मेडल जीतते रहे हैं। 'हरिहरपुर संगीत घराना' के नाम से प्रसिद्ध इस गांव के ब्राह्मण परिवार में बच्चे को पढ़ाई के साथ ही घर में ही संगीत की शिक्षा दी जाती है। बच्चे के पिता और दादा से मिलती यह शिक्षा आगे चलकर गांव का नाम रोशन करती है।
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