दूसरे दिन प्रस्तुत हुए शानदार नाटक,लोककला आधारित पूर्वरंग में लोक गीतों का प्रदर्शन हुआ
आजमगढ़: शहर के शारदा टाकीज में सूत्रधार संस्थान द्वारा आयोजित फिल्म, साहित्य, लोककला और नाट्य विधा पर आधारित कार्यक्रम के क्रम में नाट्य विधा पर आधारित आरंगम के दूसरे दिन की शुरुआत शाम पांच बजे हुई। दूसरे दिन लोकगायन भी की प्रस्तुति हुई। लोककला को समर्पित पूर्वरंग में नवोदित लोकगायिका रोशनी गोड़ ने अपनी गायकी का प्रदर्शन किया। जिसका दर्शकों ने खूब आनंद लिया।तीन दिवसीय महोत्सव के दूसरे दिन नाटक कथा और गुरुदेव रवींद्र नाथ टैगोर के रचित डाकघर का प्रदर्शन हुआ। मनोज कुमार मिश्र, निर्देशक नाटक डाकघर "हर मुसीबत से डटकर जूझने का नाम है जिंदगी’ को लोगों ने खूब सराहा। जिंदगी में जिंदा रहने के लिए कारण का ही नाम नाटक डाकघर है। कुछ लोग बेहद बहादुर होते हैं, जो गंभीर बीमारियों से ग्रसित होने के बाद भी अपनी जिंदादिली को बरकरार रखते हैं। कई तो अपने हौसले से लाइलाज मानी जाने वाली बीमारियों को भी हरा देते हैं। लाइलाज मानी जाने वाली बीमारियों को हरा पाने में हर कोई कामयाब नहीं हो पाता है। ऐसी ही बीमारी से ग्रसित है । नाटक डाकघर का नायक अमल वह जिज्ञासु बच्चा है जो मौत की ओर अग्रसर है। उसे बाहर की धूप और हवा से बचाकर रखा जाता है। वह नींद से बचा अपना समय खिड़की पर गुजारता है, जहां आते-जाते लोगों से बातें कर वह अपना मन बहलाता है। इसी कड़ी में वह अपनी हमउम्र सुधा से भी मिलता है। दोनों के बीच अच्छी दोस्ती हो जाती है। अमल को यकीन रहता है कि उसके इलाज के लिए राजवैद्य आएंगे और राजा पत्र लिखेंगे। अंत में एक दिन राजवैद्य आता है और राजा का पत्र भी लेकिन तब तक अमल इस दुनिया को छोड़ कर जा चुका होता है। नाटक का अंतिम संवाद दर्शकों को भावुक कर जाता है, जिसमें सुधा कहती है कि जब अमल जाग जाएगा तो उससे कहना कि सुधा उसे भूली नहीं है। प्रवीन कुमार गुंजन द्वारा निर्देशित नाटक "कथा" मानव जीवन में कथा के महत्व को दिखाता है। डा. मनीष त्रिपाठी, अखिलेश मिश्र, पदमाकर लाल वर्मा, सांज फाउंडेशन की सचिव डा. संतोष सिंह, सूत्रधार संस्थान के अध्यक्ष डा. सीके त्यागी, डा. अमित सिंह, तरूण राय,ममता पंडित, कंचन, शिखा, अरुण,विवेक पांडेय, हरिकेश मौर्य, अखिलेश द्विवेदी आदि थे।
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