प्रतिबंध के 21 साल पूरे हुए,सिमी के अंतिम राष्ट्रीय अध्यक्ष बोले सुप्रीम कोर्ट में जारी है लड़ाई
पीएफआइ पर लगे प्रतिबंध के सवाल पर कुछ भी कहने से इंकार किया
आजमगढ़ : प्रतिबंधित संगठन सिमी (स्टूडेंट्स इस्लामिक मूवमेंट आफ इंडिया) के राष्ट्रीय अध्यक्ष रहे हकीम शाहिद बदर फलाही ने कहा कि कांग्रेस पार्टी तो भाजपा की नानी है। उनकी जुबां से फूटे यह बोल बेहद तीखे महसूस हो रहे थे। वह भाजपा से ज्यादा नाराज कांग्रेस की नीतियों को लेकर थे। कहा कि सिमी पर प्रतिबंध लगा है, जिसके विरोध में मेरी लड़ाई सुप्रीम कोर्ट में जारी है। मुझे कोर्ट पर भरोसा है, लेकिन विलंब से मिला इंसाफ भी न्याय नहीं रह जाता है। पीएफआइ पर लगे प्रतिबंध के सवाल पर कहा कि, मैं इस पर क्या कह सकता हूं। आजमगढ़ शहर से सटे गांव मंचोभा गांव निवासी हकीम शाहिद बदर फलाही सिमी के अंतिम राष्ट्रीय अध्यक्ष थे। भारत सरकार ने 27 सितंबर 2001 को सिमी पर प्रतिबंध लगाया था। उसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में चल रही लड़ाई के मंगलवार को 21 साल बीत जाने पर वह जागरण से बातचीत कर रहे थे। उन्होंने कहा कि 21 साल का अनुचित प्रतिबंध, राजकीय आतंकवाद का सबसे खराब उदाहरण है। कहा कि एनडीए सरकार ने दो साल का प्रतिबंध लगाया गया था, जिसे 26 सितंबर, 2003 को दो साल के लिए बढ़ा दिया। कांग्रेस की हुकूमत आई तो 27 सितंबर 2005 को प्रतिबंध की अवधि पूरी होने पर विभिन्न बहाने हमे विश्वास दिलाया गया कि प्रतिबंध के घोषणा की आवश्यकता नहीं है। लेकिन फिर आठ फरवरी 2006 को सिमी पर नया प्रतिबंध लगा दिया। ऐसे में 27 सितंबर 2005 से आठ फरवरी 2006 तक कोई प्रतिबंध नहीं लगा और हमारे साथ धोखा हुआ। अदालत में पूछने पर जवाब मिला कि यह ताजा प्रतिबंध है, पिछले प्रतिबंध की निरंतरता नहीं है। यह मुस्लिमों के साथ धोखा नहीं तो क्या है। सियासी पार्टियों पर सवाल हुआ तो कहा कि कांग्रेस ने आरएसएस को बढ़ावा दिया और आरएसएस ने भाजपा को जना है। सात अगस्त 2008 को न्यायमूर्ति गीता मित्तल ने फैसला सुनाया कि सिमी पर प्रतिबंध को बनाए रखने के लिए एक भी सबूत नहीं है, इसलिए प्रतिबंध हटा लिया जाता है। केंद्र की कांग्रेस सरकार 16 घंटे में इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट से निषेधाज्ञा ले ली। यह कांग्रेस के आरएसएस समर्थक और मुस्लिम विरोधी रवैये का एक और सबूत है।
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