बरामद मोबाइल फोनों के सिम कार्डों की कॉल डिटेल निकालने की कवायद में जुटी पुलिस
आजमगढ़ : मंडलीय कारागार में चार घंटे की छापेमारी में बरामद 12 मोबाइल समेत आपत्तिजनक सामान मिलना तो शुरुआत थी। अब इस सनसनीखेज मामले में बंदियों के खिलाफ केस दर्ज होने के साथ ही शुरू हुए दूसरे अध्याय ने कई लोगों की नींद उड़ा दी है। दरअसल, 12 मोबाइल में लगे सिम जल्द ही ऐसे-ऐसे राज खोलेंगे कि बाहर घूम रहे कई सफेदपोश चेहरों की जगह जेल के बैरक में होगी। छानबीन प्राइमरी स्टेज में होने के बावजूद जेल से चल रहे खेल में बाहर से भूमिका निभा रहे लोगों में अंदरखाने में खलबली है। शहर के बीच स्थित रही पुरानी जेल से कई संगीन घटनाओं को अंजाम दिया गया। ऐसा नहीं कि सारी चीजें हवा में रहीं हों, कई मामले में पुलिस ने केस भी दर्ज किया। छानबीन में क्या हुआ, उसके बारे में जरूर पता नहीं चल पाया। यह तो सब कोई जानता है पर अब अत्याधुनिक नई जेल का हाल भी कई सवाल उठा रहा है। नई जेल का 41.246 एकड़ में निर्माण हुआ। सरकार ने करोड़ों रुपये खर्च कर अत्याधुनिक उपकरणों के जरिए सुरक्षा बंदोबस्त का किया, फिर भी हाल जस का तस रहा। पर इस बार सरकार के रुख के लिहाज से जरूर माफिया, सफेदपोशों को ठिकाने तक पहुंच जाने की संभावना दिख रही है। उसकी राह खोलेगा मंडलीय कारागार में बरामद सिम लगे 12 मोबाइल। सिम के जरिए काल डिटेल रिकार्ड निकाले गए तो निश्चित तौर पर चौंकाने वाले परिणाम सामने आएंगे। जिले के पुलिस अधीक्षक अनुराग आर्य ने बताया कि कोर्ट की परमिशन के बाद जप्त किए गए मोबाइल के सीडीआर का विश्लेषण किया जाएगा जिससे पता लग सके की जेल के अंदर से बंदी किससे बात करते थे। एसपी ने कहा की जांच में जिन-जिन का भी नाम बातचीत में सामने आएगा जांच कर उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। पुलिस की इस कार्रवाई से निश्चित रूप से वह सफेद पोश चेहरे बेनकाब होंगे जो जेल के अंदर न सिर्फ बंदियों से बातचीत करते हैं बल्कि उनकी मदद भी करते हैं। पुलिस के इस कदम से इन सफेदपोश लोगों की परेशानी बढ़ना तय है। आपको बता दे की इस मामले में शासन ने आजमगढ़ जेल के जेलर रविंद्र सरोज, डिप्टी जेलर श्रीधर यादव और दो बंदी रक्षकों अजय वर्मा और आशुतोष सिंह को सस्पेंड कर दिया है। डीजी जेल आनंद कुमार ने इन कर्मचारियों के खिलाफ विभागीय कार्रवाई की भी सिफारिश की है।
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