आजमगढ़ सदर सीट पर रोमांचक त्रिकोणीय मुकाबले की संभावना
आजमगढ़: समाजवादी पार्टी के सामने आजमगढ़ लोकसभा सीट के उपचुनाव में अपना गढ़ बचाना चुनौती है। आजमगढ़ सीट सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव के इस्तीफे के बाद खाली हुई है। यहां भाजपा और सपा के बीच कड़ा मुकाबला देखने को मिलेगा। आजमगढ़ में बसपा के मजबूती से चुनाव लड़ने के कारण सपा की मुश्किलें बढ़ गईं हैं। ऐसे में आजमगढ़ में मुलायम सिंह यादव परिवार की प्रतिष्ठा दांव पर है। आजमगढ़ में भाजपा ने भोजपुरी फिल्मों के अभिनेता दिनेश लाल यादव निरहुआ को फिर टिकट दिया है तो बसपा ने शाह आलम उर्फ गुड्डू जमाली के रूप में मुस्लिम उम्मीदवार को मैदान में उतारा है। इस सीट पर यादव व मुस्लिम दोनों ही बिरादरी सपा के आधार वोट माने जाते हैं। इसलिए माना जा रहा है कि दोनों ही प्रत्याशी सपा के आधार मतों में सेंधमारी करेंगे। सपा ने यहां धर्मेंद्र यादव को प्रत्याशी बनाया है। एक अनुमान के मुताबिक आजमगढ़ लोकसभा क्षेत्र में यादव 22 प्रतिशत, मुस्लिम 18 प्रतिशत, दलित 20 प्रतिशत व गैर यादव ओबीसी मतदाता करीब 18 प्रतिशत हैं। इस लोकसभा सीट में आजमगढ़, मुबारकपुर, सगड़ी, गोपालपुर व मेहनगर विधानसभा क्षेत्र आते हैं जिनमें पिछले विधानसभा चुनाव में सपा का कब्जा हो गया है। वर्ष 2019 के चुनाव के वक्त सपा-बसपा का गठबंधन था, जिसमें अखिलेश यादव को 6.21 लाख और भाजपा के दिनेश लाल यादव को 3.61 लाख मत मिले थे। स्थिति साफ है कि वर्ष 2019 में यादव, मुस्लिम के साथ दलित वोट भी सपा के साथ था। इस बार बसपा ने शाह आलम उर्फ गुड्डू जमाली को मैदान में उतार कर मुस्लिम-दलित गठजोड़ का दांव खेला है। दो बार के विधायक रहे गुड्डू जमाली की क्षेत्र में साख भी अच्छी है। इन परिस्थितियों में सपा के सामने यादव व मुस्लिम वोट बैंक को अपने पाले में बनाए रखना चुनौती है। बसपा के चुनाव मैदान में डटने से दलित मतदाताओं के वोट सहेजना भी सपा के लिए आसान नहीं है।
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