हमारे खून से किसी की जान बच जाए तो होती है सुख की अनुभूति -डा. आरबी त्रिपाठी
शरीर में कमजोरी की बात भ्रांति, होता रहता है रक्त का निर्माण - डा. मनीष त्रिपाठी
आजमगढ़ : ‘खुद के लिए कुछ न कुछ करना जरूरी है यारों, पर दूसरों के लिए भी कुछ करो तो सुकून मिलता है।’ कुछ इसी भाव के साथ समाजसेवी की स्मृति में विजय सुपर स्पेशिलिटी अस्पताल की ओर से आह्वान किया गया, तो सौ लोग रक्तदान करने जा पहुंचे।दिवंगत समाजसेवी वीके पांडेय यूं तो अपर जिला जज रहे, लेकिन समाजसेवी एवं पर्यावरण संरक्षण का कोई अवसर छोड़ना उन्हें गंवारा नहीं होता था। उन्हें श्रद्धांजलि देने के लिए अस्पताल परिसर में आयोजित कार्यक्रम में पहुंचे लोगों ने उनके चित्र पर पुष्प अर्पित किया। उसके बाद पहले से तय कार्यक्रम के मुताबिक बारी-बारी से रक्त दान करते रहे। रक्तदान करने वालों में डा. मनीष त्रिपाठी, डा. परिजात बरनवाल, डा. शुभम, राजन उपाध्याय, संजय सिंह, नीरज, अविनाश यादव, परमवीर आदि शामिल थे। अस्पताल के निदेशक डा. आरबी त्रिपाठी ने कहा कि किसी की पुण्यतिथि हो अथवा जन्मदिन या फिर शादी की साल गिरह। पुष्प अर्पण और गिफ्ट के साथ बधाई देने तक सीमित नहीं होना चाहिए। कुछ न कुछ ऐसा करना चाहिए, जिसमें सभी का जुड़ाव हो। यही सोचकर हमने रक्तदान का आह्वान किया था। यह ऐसा कार्य है, जिसमें केवल रक्तदान करने वाला ही शामिल नहीं होता, बल्कि उन लोगाें का भी जुड़ाव होता है, जिसके काम आपका दिया रक्त आता है। अगर हमारे रक्त से किसी का जीवन बच जाता है तो यह रक्त देने वाले के लिए सौभाग्य की बात है। डा. मनीष त्रिपाठी ने कहा कि कुछ लोगों में इस बात को लेकर भ्रांति है कि रक्त देने से शरीर कमजोर हो जाता है। जबकि यह बात सच्चाई से कोसों दूर की है। रक्तदान के बाद शरीर में नए रक्त का निर्माण तेजी से शुरू हो जाता है। वह आपकी सेहत के लिए फायदेमंद है। ऐसे में खुद रक्तदान के साथ दूसरे लोगों को भी इसके लिए प्रेरित करने की जरूरत है।
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