वोटिंग फीसद बरकरार रखना माना जा रहा मोदी-योगी का असर
सपा का वोट फीसद घटा, बसपा के 1.52 प्रतिशत मतदाता बढ़े
भाजपा प्रत्याशी दिनेश लाल यादव ‘निरहुआ’ का कद कम नहीं हुआ है। यह मोदी मैजिक की ओर इशारा कर रहा है। वहीं, गढ़ में सपा का ग्राफ घटा तो बसपा ने मामूली वृद्धि दर्ज की है।उपचुनाव के आंकड़ों को देखें तो भाजपा के दिनेश लाल यादव को 312768 वोट मिले। इस तरह 34.39 फीसद लोगों ने भाजपा को मतदान किया है। वर्ष 2019 के सामान्य चुनाव के आंकड़ों पर गौर करें तो भाजपा प्रत्याशी दिनेश लाल यादव को 35.15 फीसद यानी कि 3,61,704 वोट मिले थे। अगर हम वर्ष 2014 के चुनावी आंकड़े से उपचुनाव की तुलना करें तो भाजपा का ग्राफ 6.04 फीसद बढ़ा है। उस समय रमाकांत यादव भाजपा प्रत्याशी थे। सपा के वोटों को देखें तो धर्मेंद्र यादव 304089 वोट पाए, जो 33.44 फीसद है। वर्ष 2019 के चुनाव से तुलना करें तो सपा को 26.6 फीसद वोट कम मिले। चूंकि उस समय बसपा के साथ गठबंधन में सपा मुखिया अखिलेश यादव जीते थे। इसलिए वर्ष 2014 में हुए चुनाव से तुलना करना उचित होगा। उस समय सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव 3,40,306 मतों के साथ 35.43 फीसद वोट पाए थे। उपचुनाव के वोट फीसद से तुलना करें तो सपा का वोट गढ़ में 1.99 फीसद कम हुआ है। वर्ष 2014 में बसपा प्रत्याशी रहे शाह आलम उर्फ गुड्डू जमाली के 2,66,528 मत का वोट फीसद 27.75 था, जो अबकी उपचुनाव में 1.52 फीसद बढ़ा है। हालांकि, यह वोट मुसलमानों का माना जा रहा है, जो शाह आलम का अपना है। दरअसल, वह जनता के बीच में बराबर सक्रिय रहते हैं। भाजपा के दिनेश लाल यादव जरूर जीते, लेकिन वर्ष 2019 में हारने के बाद वह बहुत सक्रिय नहीं थे। राजनीति विज्ञान के एसोसिएट प्रोफेसर सुजीत श्रीवास्तव का कहना है कि सामान्य चुनाव के सापेक्ष उपचुनाव के प्रति जनता में रुचि कम होती है। मुस्लिमों का वोट गुड्डू जमाली को उनके व्यक्तिगत वजह से मिला है। इसके अलावा भाजपा की जीत के कई और भी कारण हैं।
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