दो माह में रिश्वत लेने में बैंक प्रबंधक की गिरफ्तारी का यह दूसरा मामला
आजमगढ़ : इसे भ्रष्टाचार के खिलाफ लोगों में बढ़ रही जागरूकता का प्रहार भी कह सकते हैं। करीब दो माह में दूसरा मामला है, जब एंटी करप्शन टीम यूबीआइ के बैंक प्रबंधक को गिरफ्तार कर ले गई। अबकी काश्तकार को किसान क्रेडिट कार्ड बनवाने के लिए तीन माह दौड़ लगानी पड़ी। रुपये एकाउंट में तब ट्रांसफर किए गए, जब किसान ने 20 हजार रुपये देने की हामी भर दी। बैंक प्रबंधक का यही व्यवहार किसान को इतना खल गया कि कानून की मदद लेने की ठान ली। अतरौलिया क्षेत्र के ग्राम पंचायत गजेंद्र पट्टी भेदौरा निवासी किसान हरिओम प्रताप सिंह की गृहस्थी किसानी से ही चलती है। उन्होंने यूनियन बैंक की शाखा शाहपुर के प्रबंधक धर्मेंद्र प्रसाद से तीन माह पूर्व तीन लाख रुपये का केसीसी बनाने को संपर्क किए थे। मशक्कत के बाद केसीसी की फाइल को स्वीकृति मिली तो प्रबंधक धर्मेंद्र प्रसाद ने 20 हजार रुपये की डिमांड रख दी। इन्कार करने पर फाइल की रफ्तार सुस्त पड़ी तो किसानी पर संकट की आशंका में रुपये देने की हामी भर दी, लेकिन सबक सिखाने की ठान ली। रुपये एकाउंट में ट्रांसफर होने के बाद प्रबंधक ने अपने हिस्से की रकम लेने को दबाव बनाया तो 19 मई को सीबीआइ की एंटी करप्शन टीम से मदद को आनलाइन आवेदन किए। शुक्रवार की दोपहर दो बजे पहुंची एंटी करप्शन की टीम जाल बिछाकर मैनेजर को पकड़ ले गई। इससे पूर्व दो अप्रैल को यूनियन बैंक के ही चितारा महमूदपुर शाखा के बैंक प्रबंधक सर्वेश कुमार को एंटी करप्शन की टीम गिरफ्तार कर ले गई थी। उस समय एक कारोबारी ने प्रधानमंत्री रोजगार सृजन योजना अंतर्गत 10 लाख रुपये की फाइल स्वीकृत कराई थी। ऋण देने को प्रबंधक ने डेढ़ लाख रुपये की डिमांड रखी गई थी। इन्कार करने पर विवाद बढ़ा तो फिर मामला कानूनी कार्रवाई तक जा पहुंचा था। हालांकि, बैंक प्रबंधकों पर सुविधाशुल्क के लिए ऋण स्वीकृत न करने के आरोप आए दिन सुर्खियों में बने रहते हैं। जनपद में यूबीआइ ही लीड बैंक है, इसलिए लोगों को इससे ज्यादा उम्मीदें रहती हैं। इस प्रवृत्ति पर अंकुश के लिए बैंक के उच्चाधिकारियों पर भी ध्यान देना होगा।
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