एमएलसी चुनाव के लिए हुए मतदान में नजदीकी त्रिकोणीय लड़ाई की संभावना
प्रत्याशी से लेकर समर्थकों के लिए एक एक पल भारी
आजमगढ़. ‘यही रात अंतिम यही रात भारी, बस एक रात की अब कहानी है सारी‘ मंगलवार को फैसला हो जाएगा कि आजमगढ़ और मऊ के जन प्रतिनिधि किसके साथ है। एमएलसी चुनाव का यह परिणाम आने वाले लोकसभा उपचुनाव में राजनीतिक दलों का भविष्य भी तय करेगा। आजमगढ़-मऊ सीट पर सभी की नजरें टिकी है। कारण कि यहां बीजेपी को जहां बगावत का सामना करना पड़ रहा है वहीं सपा के सामने पिछले प्रदर्शन को दोहराने की चुनौती है। कहीं न कहीं परिणाम बाहुबली रमाकांत यादव का भविष्य भी तय करेगा। बेटे को एमएलसी बनाने के लिए जिस तरह से वे बीजेपी खेमे में खड़े दिखे और फोटो वायरल हुए उसके बाद सपा में उनके विरोधी भी सक्रिय हो गए हैं। इस चुनाव में अगर सपा को झटका लगा तो ठीकरा उन्ही पर फूट सकता है। बता दें कि आजमगढ़-मऊ स्थानीय प्राधिकारी निर्वाचन क्षेत्र के लिए हुए मतदान में 98.42 प्रतिशत मतदाताओं ने मताधिकार का प्रयोग किया है। बाजी किसके हाथ लगेगी इसका फैसला मंगलवार को मतगणना के बाद होगा लेकिन यहां राजनीति के दो मझेे हुए खिलाड़ियों की प्रतिष्ठा दांव पर लगी है। बीजेपी ने सपा विधायक बाहुबली रमाकांत यादव के पुत्र अरुणकांत यादव को मैदान में उतारा है तो सपा से एमएलसी राकेश यादव मैदान में है। वहीं बीजेपी से बगावत कर एमएलसी यशवंत सिंह के पुत्र विक्रांत सिंह चुनाव में ताल ठोक रहे हैं। इसके अलावा दो अन्य निर्दल प्रत्याशी अंब्रेश व सिकंदर प्रसाद कुशवाह भी भाग्य आजमा रहे हैं। यहां त्रिकोणीय लड़ाई अरुणकांत यादव, राकेश यादव और विक्रांत सिंह के बीच मानी जा रही है।
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