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आज़मगढ़: सपा मुखिया के संसदीय सीट छोड़ने के बाद क्या बिखर गया ‘गढ़’ !!!


जिले व मऊ की 14 में 13 सीटाें पर जीते सपा एमएलए प्रत्याशी की जमानत नही बचा पाए

अब संसदीय उपचुनाव के लिए सपा नेतृत्व को गया खास संदेश

आजमगढ़ : विधानसभा की करहल सीट से चुनाव जीतने के बाद अखिलेश यादव ने आजमगढ़ से बतौर सांसद के रूप में नाता तोड़ा, तो इसका असर विधान परिषद सदस्य (एमएलसी चुनाव-2022) में देखने को मिल गया। समाजवादी पार्टी अपने ही गढ़ में चारो खाने चित हो गई और जिले के सभी दस विधायक देखते रह गए। इसी तरह मऊ में भी सपा के जिताऊ तीनों विधायक कुछ कर पाने में नाकाम रहे। विधानसभा चुनाव में पूर्वांचल के जिले खासकर आजमगढ़ व मऊ की 14 में 13 सीटाें पर जीत दर्ज करने वाली समाजवादी पार्टी के विधायक अपनी पार्टी के प्रत्याशी राकेश कुमार यादव गुड्डू की जमानत भी नहीं बचा सके। आजमगढ़-मऊ क्षेत्र से विधान परिषद सदस्य की सीट पर शुरू से सपा का दबदबा रहा है, लेकिन अबकी साइकिल की सवारी करने वाले प्रत्याशी की करारी हार, भाजपा प्रत्याशी अरुणकांत के खराब प्रदर्शन और निर्दल प्रत्याशी विक्रांत सिंह रिशू की जीत ने जिले में राजनीति की एक नई इबारत लिख दी है। भाजपा ने जिले की मात्र एक सीट पर जीत दर्ज करने वाले फूलपुर-पवई विधानसभा क्षेत्र के पूर्व विधायक अरुणकांत यादव को प्रत्याशी घोषित किया था, जबकि एमएलसी यशवंत सिंह के पुत्र विक्रांत सिंह रिशू ने निर्दल प्रत्याशी के रूप में पर्चा भरकर ताल ठोंक दिया। भाजपा शीर्ष नेतृत्व ने इस बाबत कार्रवाई करते हुए एमएलसी यशवंत सिंह को छह वर्ष के लिए पार्टी से निष्कासित भी कर दिया था। भाजपा प्रत्याशी रहे अरुणकांत यादव के पिता रमाकांत यादव वर्तमान में फूलपुर-पवई विधानसभा सीट से सपा के विधायक हैं। इन्होेंने एमएलसी चुनाव में सपा के घोषित प्रत्याशी और अपने बेटे के मैदान में आने पर रेफरी की भूमिका में खड़े रहने की बात कही थी। बहरहाल, राजनीति के दिग्गजों की मानें तो चुनाव परिणाम से यह प्रतीत हुआ कि सपा ने चुनाव लड़ा ही नहीं। फिलहाल यह परिणाम जिले में सदर सीट पर होने वाले आगामी उपचुनाव के दृष्टिगत सपा के शीर्ष नेतृत्व को काफी कुछ संकेत दे रहा है। अब देखना यह है कि आगे ऊंट किस करवट बैठता है। लग तो यही रहा है सपा के तमाम दिग्गज नेताओं ने अपने अपने व्यक्तिगत स्वार्थ के हिसाब से ही एमएलसी चुनाव में कार्य किया है । अगर जिले की राजनीति में अभी भी अखिलेश यादव का सीधा नाम जुड़ा होता तो शायद यही सपा क्षत्रप अपनी क्रेडिट बढ़िया करने को कुछ ना कुछ मेहनत जरूर करते ।

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रिपोर्ट आज़मगढ़ लाइव

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