सैकड़ों जेल गए, करोड़ों की अवैध शराब बरामद हुई पर नही खत्म हुआ काला कारोबार
नेताओं का भी संरक्षण देने में उछलता रहा है नाम
आजमगढ़: जिले में अवैध शराब के सेवन के चलते पिछले दो दशक में लगभग सवा सौ से ज्यादा लोगों की जा चुकी हैं। पुलिस अतरौलिया विधानसभा क्षेत्र के बसपा के पूर्व विधायक सुरेद्र प्रसाद मिश्रा समेत कइयों को सलाखों के पीछे पहुंचा चुकी है। करोड़ों की शराब बरामदगी हुई, फिर भी अवैध शराब का कारोबार नेस्तनाबूत न हो पाने से कार्रवाई फिर सवालों में घिर गई है। इस बार पूर्व सांसद के रिश्तेदार पर आरोप लगा हैै। जिले में शराब से हुई मौतों की शुरुआत वर्ष 2002 में हुई थी। बरदह थाना क्षेत्र के इरनी गांव में जहरीली शराब से 11 मौतें होने से कोहराम मच गया था। पुलिस सक्रिय हुई, तो शराब के अवैध कारोबार से जुड़े लोगों पर पुलिस का कहर बरपा था। उन दिनों चंदन पासवान नामक शराब तस्कर को पुलिस ने सलाखों के पीछे पहुंचाया था। पुलिस उस समय दावा की थी कि अपराधी फिर से फन नहीं काढ़ पाएंगे। 11 वर्ष बीता तो वर्ष 2013 में मुबारकपुर के अतरडीहा, ओझौली, अमिलो, प्यारेपुर, चकिया, नगर में जहरीली शराब पीने से 53 लोगों की मौत हुई थी। छानबीन में मौतों का कारण जहरीली शराब ही सामने आईं थीं। जिले में छापेमारी शुरू हुई तो अलग-अलग स्थानों से शराब की बरामदगी हुई थी। वक्त बीतने के साथ पुलिस-प्रशासन की निगरानी कमजोर पड़ी, तो फिर से अवैध शराब खेल शुरू हो गया। उस समय पुलिस ने मुलायम यादव नामक तस्कर के खिलाफ कार्रवाई की थी। चार साल बाद 2017 में सगड़ी तहसील क्षेत्र के केवटहिया, अजमतगढ़, जीयनपुर में 30 गरीबों को जहरीली शराब पीने के कारण जान गवांनी पड़ी थी। उसके बाद 2021 में मौत के सौदागरों ने फिर से मौत का खेल खेला तो अंबेडकरनगर और आजमगढ़ में 22 मौतें हुई, जिसमें आजमगढ़ के छह शामिल रहे। पुलिस ने शराब कारोबार में शामिल रहे मोती गैंग को रजिस्टर्ड कर दिया। इस गिरोह के लोगों पर 25-25 हजार का इनाम घोषित करते हुए गैंगस्टर लगाया था। पुलिस की कार्रवाई से लग रहा था कि अवैध शराब के कारोबारियों की रीढ़ टूट जाएगी, लेकिन एक बार फिर से जहरीली शराब से हुई मौतों ने पूरी व्यवस्था पर सवाल खड़ा कर दिया है। वर्ष 2018 में पुलिस ने बसपा के पूर्व विधायक सुरेंद्र प्रसाद मिश्रा के कप्तानगंज थाना अंतर्गत डिवनिया स्थित स्कूल से शराब बरामद किया था, जिसमें उनकी गिरफ्तारी भी हुई थी।
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