गोविंद सरोवर में स्नान कर श्रद्धालुओं ने चढ़ाई कच्ची खिचड़ी व लाल गन्ना
गोविंद साहब मेले में भारी संख्या में पहुंच रहे हैं कई जनपदों के लोग
आजमगढ़ : सर्द हवा के झोंके के बीच आंधी बनी आस्था और उमड़ पड़ा सैलाब। ये नजारा था आजमगढ़-अंबेकरनगर की सीमा पर स्थित गोविंद साहब धाम का। गोविंद दशमी पर स्नान के लिए पहुंचे कई जनपदों के लगभग दो लाख श्रद्धालुओं ने सोमवार की भोर होते ही गोविंद सरोवर में डुबकी लगाई। इस दौरान गोविंद साहब के जयकारे से पूरा धाम गूंज रहा था। श्रद्धालु गोविंद सरोवर में स्नान के बाद बाबा की समाधि की ओर हाथ में प्रसाद और मन में मन्नत लेकर पहुंचते रहे। हर तरफ सुनाई दे रही थी एक ही गूंज बोलो गोविंद साहब की जय। कुछ लोगों ने आधी रात के बाद से ही स्नान करना शुरू कर दिया था, लेकिन अधिकतर लोगो ने ब्रह्म मुहूर्त में ही स्नान के बाद दर्शन किया। इस मुहूर्त में स्नान का अधिक फलदायी माना जाता है। मेले में एक दिन पहले से ही श्रद्धालुओं की भीड़ पहुंचना शुरू हो गई थी। भोर में लगा कि आस्था का सैलाब उमड़ पड़ा और इस तरह गोविंद साहब का 232वां स्नान समाप्त हुआ। श्रद्धालुओं ने गोविद साहब दरबार में प्रसाद के रूप में चावल व उर्द के दाल की कच्ची खिचड़ी के साथ लाल गन्ना चढ़ाया। स्नान और बाबा की समाधि पर शीश झुकाने के बाद भीड़ मेले में पहुंची। मेले में खजला, लाल गन्ना, लकड़ी निर्मित सामान, दुधारू पशुओं व बच्चों के मनोरंजन के समान आदि की जमकर खरीदारी हुई। सुरक्षा के मामले में हर कदम पर एहतियात बरती जा रही थी। जगह-जगह क्लोज सर्किट कैमरा लगा था। अतरौलिया प्रभारी निरीक्षक दिनेश यादव अमडी तक अपने जवानों के साथ दिख रहे थे। गोविंद साहब मेले में हर कोई पहुंचता तो है लेकिन उनकी सोच अलग-अलग होती है। कोई मेले के बहाने खरीदारी करने तो कोई स्नान व पूजा के बाद अपने घर का रास्ता पकड़ता है। कई जिलो से आने वाले लोग समाधि पर शीश झुकाने के बाद भी तब तक वहां से नहीं हटते जब तक समाधि के गुंबद से सरककर गिरा एक दाना प्रसाद उनके हाथ तक नहीं पहुंच जाता है। समाधि के चारों तरफ खड़े लोगों ने बताया कि बहुत से लोग ऐसे होते हैं जो समाधि तक नहीं पहुंच पाते हैं तो गुंबद के ऊपर ही प्रसाद चढ़ा देते हैं जो गिर कर नीचे आता है वही प्रसाद जिस किसी के हाथ में आ जाता है उस पर गोविद साहब की विशेष कृपा मानी जाती है।
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