हर महीने जारी होता है सड़कों को गढ्ढामुक्त करने का निर्देश,पर होता कुछ नही
बदहाल हैं शहर के सभी रास्ते,आला अधिकारियों के तमाम निर्देशों के बावजूद स्थिति जस की तस
आज़मगढ़: डीएम राजेश कुमार पिछले एक वर्ष से लगभग हर महीने शहर की सड़कों को गढ्ढामुक्त करने के निर्देश देते रहते है, कड़ी कार्यवाही की चेतावनी भी जारी होती है पर स्थिति जस की तस ही रहती है और कार्य न होने पर कार्यवाही भी नही होती है। शहर की दुर्दशा पर हैरान परेशान जनता को अधिकारियों के हर निर्देश के बाद आशा की किरण दिखती है जो चंद दिनों के इंतजार के बाद समाप्त हो जाती है। फिर आता है अगला निर्देश की सड़कें तत्काल दुरुस्त कराएं अन्यथा कार्यवाही होगी। सवाल है कि इतने आदेश निर्देश के बाद भी नीचे के जिम्मेदार हरकत में क्यों नही आते हैं, अगर कुछ भी नही करते हैं तो उनपर कार्यवाही क्यों नही की जाती। जिलाधिकारी के निर्देश पर भी अगर काम नही हो पा रहा है तो आप समझ लीजिए की इस शहर की सुध नेता तो लेते ही नही हैं अब अधिकारी भी नही ले रहे हैं। हाल ही में महामहिम राज्यपाल के आगमन पर एक फिर सड़कों की तत्काल मरम्मत के निर्देश जारी किए गए थे , वो भी हवा हवाई ही निकले। हकीकत की तह तक जाएं यह समझ में आया कि सच में नगर पालिका के पास पिछले एक वर्ष में सड़क मरम्मत के नाम पर एक पैसा भी नही आया है। केवल एक दलालघाट- हर्रा की चुंगी रोड के लिए ही टेंडर हुआ है अब उस पर कार्य शुरू हुआ है। बाकी शहर का वही पुराना हाल बना हुआ है। नगर पालिका अध्यक्ष के प्रतिनिधि हनी श्रीवास्तव ने भी इस सच को स्वीकार किया की वास्तव में नगर पालिका आज़मगढ़ को सड़क मरम्मत या गढ्ढामुक्त करने के नाम पर कोई धन नही मिला है। केवल कर्मचरियों का वेतन ही आता है। बताया कि हकीकत में नगर पालिका पर करोड़ों रुपए का कर्ज है। वैसे भी अब चुनावी माहौल में धन आने की उम्मीद बस चंद दिनों तक ही रहेगी। फिर हर महीने आला अधिकारियों द्वारा किस आधार पर सड़कों को तत्काल दुरुस्त करने के निर्देश क्या केवल औपचारिकता पूरी करने के लिए दिए जा रहे हैं। ऐसा ही कुछ पिछले मानसून में अतिवृष्टि के चलते शहर के जलमग्न हुए क्षेत्रों में जल निकासी और आपदा राहत पंहुचाने में देखने को मिला । निर्देश तो तमाम जारी होते रहे पर धरातल पर क्या होता रहा वो उन क्षेत्रों के निवासियों से पूछिए। कैसे कैसे उन्होंने वो एक महीने से ज्यादा का कष्टकारी समय बिताया है। कुल मिला कर कह सकते हैं साहब, इतना बदहाल तो यह शहर कभी नही रहा!
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