जयंती पर भारत रत्न को सरकारी कार्यालयों व शिक्षण संस्थानों में अर्पित किया गया श्रद्धासुमन
हिदी को राजकीय भाषा का दर्जा दिलाने में भी उनका महत्वपूर्ण योगदान रहा: डीएम
आजमगढ़: आजादी के अमृत महोत्सव एवं चौरी-चौरा शताब्दी समारोह की श्रृंखला के अंतर्गत शुक्रवार को सरकारी कार्यालयों व शिक्षण संस्थानों में भारत रत्न पंडित गोविद बल्लभ पंत की जयंती मनाई गई। कलेक्ट्रेट सभागार में डीएम राजेश कुमार व समस्त अधिकारी व कर्मचारियों ने पंडित गोविद बल्लभ पंत के चित्र पर पुष्प अर्पित किया। इस दौरान उनके व्यक्तित्व व कृतित्व पर चर्चा ही गई। डीएम ने कहा कि भारत रत्न पंडित गोविद बल्लभ पंत का स्वतंत्रता संग्राम आंदोलन में महत्वपूर्ण योगदान रहा है। उन्होंने असहयोग आंदोलन, साइमन कमीशन के बहिष्कार एवं नमक सत्याग्रह में बढ़-चढ़ कर प्रतिभाग किया था। वे महान देश भक्त, कुशल प्रशासक, सफल वक्ता, तर्क के धनी और लेखनी से सशक्त थे। काकोरी मुकदमे ने एक वकील के तौर पर उनको पहचान एवं प्रतिष्ठा दिलाई। 1937 में वे संयुक्त प्रांत के प्रथम प्रधानमंत्री, 1946 में उत्तर प्रदेश के पहले मुख्यमंत्री बने। 10 जनवरी 1955 को भारत के गृह मंत्री का पद संभाला। उन्हें 1957 में गणंतत्र दिवस पर भारत की सर्वोच्च उपाधि भारत रत्न से विभूषित किया गया। हिदी को राजकीय भाषा का दर्जा दिलाने में भी उनका महत्वपूर्ण योगदान रहा। विकास भवन में सीडीओ आनंद कुमार शुक्ला की अध्यक्षता में कार्यक्रम आयोजित किया गया। डीडीओ रविशंकर राय, वीके सिंह सहित सभी अधिकारी व कर्मचारी थे। जिला समाज कल्याण (विकास) कार्यालय में जिला समाज कल्याण अधिकारी (विकास) विनोद कुमार सिंह, लेखाकार रमेश आदि थे। जिला सूचना कार्यालय, जिला प्रोबेशन कार्यालय, उद्योग विभाग, सीएमओ कार्यालय सहित समस्त जिला स्तरीय कार्यालयों, तहसीलों एवं समस्त विकास खंडों के कार्यालयाध्यक्षों ने भारत रत्न पंडित गोविन्द बल्लभ पंत के जयंती पर उनके चित्र पर पुष्प अर्पित किया। सीआरओ हरीशंकर, एडीएम (एफआर) आजाद भगत सिंह आदि थे।
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