लालबिहारी ने किया अनोखा आयोजन, कहा जिंदा हुए 27 साल हुआ, अब करेंगे पत्नी से पुनर्विवाह
सतीश कौशिक ने बनाई है लालबिहारी मृतक पर फिल्म 'कागज'
आजमगढ़: निजामाबाद तहसील के खलीलाबाद गांव में जन्म लेने वाले लालबिहारी ने इस बार भी अनोखा आयोजन किया। कागजों में जिंदा होने के बाद अपना 27वां पुनर्जन्मदिन मनाया और केक काटकर लोगों के बीच खुशियां मनाईं। सिविल लाइन स्थित एक सभागार में आयोजित कार्यक्रम में एलान किया कि अगले वर्ष पत्नी के साथ दोबारा शादी रचाकर सरकार को संदेश देंगे। तर्क दिया कि वर्ष 1994 में अगर कागजों में मुझे जिंदा किया गया तो उस हिसाब से मेरी उम्र मात्र 28 वर्ष होगी और मैं शादी का हकदार भी हूं। सरकारी दस्तावेज में 18 वर्ष तक मृत रहने वाले लालबिहारी ने अपने नाम के आगे मृतक जोड़ दिया था और तबसे वह मृतक के नाम से फेमस हैं। उन्होंने बताया कि मृतक संघ ट्रस्ट बनाकर जनता की सेवा करेगा। मुझे 30 जुलाई 1976 को जीते जी मृत घोषित कर मेरे मौलिक अधिकारों का हनन कर अपमानित किया गया। उन्होंने सभी से आह्वान किया कि शोषण और अन्याय के खिलाफ सदैव जागरूक रहें और हक की लड़ाई लड़कर व्यवस्था में सुधार कराएं, ताकि भारतीय लोकतंत्र की प्रदत्त शक्ति को आम जनमानस पहचान सके। आजमगढ़ के बहुचर्चित लालबिहारी मृतक के बारे में शायद ही कोई मीडिया होगी जिसने इनके दर्द को उभारा नहीं होगा। उनके दर्द से ही प्रभावित होने के बाद फिल्म निर्देशक सतीश कौशिक ने फिल्म तैयार की और नाम दिया 'कागज'। यानी पूरी कहानी कागजी तौर पर गोलमाल पर आधारित है। सतीश कौशिक निर्देशित फिल्म 'कागज' लंबे इंतजार के बाद दर्शकों के बीच पहुंच चुकी है। कहानी जिले के लालबिहारी मृतक के जीवन पर आधारित है जिन्होंने कागजों में जिदा होने के लिए लंबे समय तक संघर्ष किया। उसके बाद अब अन्य कागजी मृतकों को न्याय दिलाने के लिए लगे हुए हैं। फिल्म में लालबिहारी की भूमिका में अभिनेता पंकज त्रिपाठी पर्दे पर नजर आये। सतीश कौशिक का कहना है कि सच्ची कहानी पर आधारित फिल्में अब कम देखने को मिलती हैं। उन्हें लालबिहारी के बारे में जानकारी हुई तो फिल्म बनाने का फैसला वर्ष 2003 में ले लिया। इसके मुख्य सह निर्देशक खुद लालबिहारी के पुत्र विजय भारत हैं।
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