सीता जन्म सहित फुलवारी का मंचन किया गया,बीच-बीच में लगते रहे जयकारे
आजमगढ़: नगर के पुरानी कोतवाली पर चल रही श्रीरामलीला में रविवार की रात कलाकारों ने सीता जन्म सहित फुलवारी का मंचन किया गया। इस दौरान कलाकारों ने अपने जीवंत अभिनय से दर्शकों को भावविभोर कर दिया। बीच-बीच में लग रहे श्रीराम के जयकारों से वातावरण श्री राममय हो गया था। श्री रामलीला के मंचन के क्रम में कलाकारों द्वारा सीता जन्म का मंचन किया जाता है। इसके बाद कलाकारों ने नगर दर्शन का मंचन किया। इसमें विश्वामित्र के आश्रम से अयोध्या से लौट रहे श्रीराम, लक्ष्मण, गुरु विश्वामित्र से जनकपुर देखने का आग्रह करते हैं। विश्वामित्र दोनों भाईयों को नगर दर्शन की अनुमति देते है। दोनों भाई बड़े ही मनोयोग से नगर दर्शन करते हैं। इसी दौरान उन्हें पता चलता है कि जनकपुर के राजा जनक के महल के अंदर बहुत ही सुंदर बागीचा है। इस पर राम और लक्ष्मण बागीचे के पास पहुंचते हैं। तो वहां तैनात दासियों ने दोनों भाईयों को द्वार पर ही रोक दिया जाता है। उस समय सीता जी बागीचे में पूजन को जा रही थी। लक्ष्मण के विशेष आग्रह पर दासियों ने एक शर्त पर बागीचे में प्रवेश की अनुमति दी कि आप दोनों भाई किसी पेड़ की आड़ में छुप जाइएगा, ताकि सीता जी की नजर आप लोगों पर न पड़े। इस पर दोनों भाई पेड़ की आड़ में छिपकर सीता जी को देखते हैं। सीता जी को देखकर भगवान श्रीराम मुग्ध हो जाते हैं और जब इस बात का पता विश्वामित्र को होता है तो वे भगवान राम से सीता स्वयंवर में ले जाते हैं। मिथिला बिहार से आए कलाकारों द्वारा प्रस्तुत श्रीरामलीला मंचन देख दर्शक मंत्रमुग्ध हो गए। इस मौके डा. राजेंद्र कुमार अग्रवाल, श्रीचंद मोदनवाल, सुरेश जायसवाल, श्रवण कुमार, सुरेश केशरवानी, सतोष नेता, राजीव चौरसिया, संतोष जायसवाल, भोला सेठ, पवन गुप्ता, अजय मोदनवाल आदि मौजूद रहे।
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