किसी को बताया जा रहा संक्रमण काल का नियम तो कोई उड़ा रहा उसकी धज्जियां आजमगढ़। कोविड-19 कोरोना वायरस जैसी महामारी के चलते जहां तमाम लोगों को अपनी नौकरी और कारोबार से हाथ धोना पड़ा है, वहींं आजिविका के लिए हिम्मत जुटाकर संक्रमण से निजात पाने की आस पाले बैठे कुछ लोगों पर प्रशासनिक नियमों का कड़ा प्रहार जारी है। कोरोना संक्रमण काल में बाजार खोलने के लिए स्थानीय प्रशासन द्वारा बनाए गए नियम का पालन कराया जा रहा है, तो वहीं कुछ लोग मिली भगत या अपने रसूख के चलते सरकारी फरमान की धज्जियां उड़ा रहे हैं। इस गंभीर विषय पर प्रशासन की मौन साधना कुछ और ही ईशारा कर रहा है। हालांकि शासन और प्रशासन द्वारा आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति को इस प्रतिबंध से बाहर किया गया है। जिनमें फल,दूध, सब्जी और दवा का व्यवसाय शामिल है। यह बात समझ से परे है कि दूध के व्यवसाय से जुड़े लोगों को दूध से निर्मित दही, पनीर, घी व अन्य वस्तुओं को बेचने की छूट है ये लोग इसका फायदा उठा कर अपनी दुकानों के सामने दो चार दूध के पैकेट ले कर बैठ जा रहे हैं , वही फल की बिक्री को अनिवार्य सेवा मान इजाजत देने वाले जिम्मेदार फलों के जूस की दुकानों पर प्रशासनिक प्रतिबंध लगा रहे हैं जो की न्याय संगत नहीं प्रतीत होता है। देखा जाए तो शहर क्षेत्र में फलों के जूस की दो दुकानेंं स्थित हैंं और इसके अलावा जिले भर में ठेले पर फल ही नहीं जूस बेचा जा रहा है । उदाहरण स्वरुप शहर सिविल लाइन -मड़या क्षेत्र में स्थित दुकान जहां प्रतिदिन खुल रही है, वहींं महिला अस्पताल मातबरगंज के निकट स्थित एक जूस की दुकान पर लगाया गया प्रशासनिक पहरा सवाल खड़े करता है। इस संबंध में जूस का व्यवसाय करने वाले व्यवसायी वेदप्रकाश ने बताया कि एक तो पूरे महीने में 10 दिन दुकान खोलने की अनुमति मिली है। फल का व्यवसाय होने के कारण बंदी के चलते भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है जबकि हम अपने ग्राहकों को मानक के हिसाब से जूस की आपूर्ति कर रहे हैं। इस संबंध में प्रशासन से गुहार भी लगाई गई लेकिन परिणाम के लिए अभी भी मैं दर-दर की खाक छान रहा हूं। वहीँ शहर के एक प्रतिष्ठित अस्पताल के बगल में स्थापित दूसरी बड़ी दूकान बदस्तरूर रोज खुल रही है। हमारी छोटी सी केवल फ्रूट जूस की दूकान जब भी खुलने को होती है तो तत्काल पुलिस विभाग उसका फोटो लेने लगता है। इस मामले में सीओ सिटी अवगत हैं पर इस मुद्दे पर वह किन मानदंडों पर साप्ताहिक बंदी करा रहें हैं यह विचार करने के योग्य है।
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