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आजमगढ़ : ग्रामीण इलाकों में पंहुचा पाकिस्तानी टिड्डी दल, जानिये क्या उपाय करें किसान

आपदा से निपटने हेतु प्रशासन ने जारी किया एडवाइजरी और कण्ट्रोल रूम नंबर 

आजमगढ़.: जिसका डर था वहीं हुआ। प्रयागराज, वाराणसी के बाद गुरूवार को पाकिस्तानी टिड्डियों का दल आजमगढ़ पहुंच गया। लाखों की संख्या में पहुंची टिड्डियों ने कहर बरपाना शुरू कर दिया है। धान की नर्सरी व अन्य फसलों के नष्ट होने के खतरे से किसान सहमें हुए हैं। वहीं प्रशासन टिड्डियों से निपटने की रणनीति बनाने में जुटा है। कृषि विभाग ने किसानों को अलर्ट किया है कि किसी भी हालत में वे टिड्डियों को फसल पर न बैठने दें। ताली बजाकर व अन्य माध्यमों ने तेज आवाज कर उन्हें भगाने का काम करें। बता दें कि जिले में समय से मानसून आने के कारण धान की रोपाई जोर शोर से चल रही है। मक्का, उर्द, ढैचा, सब्जी आदि की फसलों की बोआई पहले ही हो चुकी है। गन्ना की फसल भी दो से ढ़ाई फुट की हो गयी है। सब मिलाकर खेतों में हरियाली दिखने लगी है। ऐसे में टिड्डो का हमला काफी नुकसानदायक साबित हो रहा है। रबी की फसल में बरसात व ओलावृष्टि के कारण भारी नुकसान उठा चुका किसान चिंतित है। कारण कि अगर खरीफ की फसल में अच्छा उत्पादन नहीं हुआ तो किसान बर्बाद हो जाएगा। टिड्डियों का दल जैसे ही जिले में प्रवेश किया हड़कप मच गया। जिले के विकास खण्ड मार्टिनगंज, अहरौला एवं मिर्जापुर आदिक्षेत्रों के पास ये लाखों की संख्या में देखी गयी। टिड्यिों को भगाने के लिए किसान अपने अपने ढंग से प्रयास कर रहे हैं। जिला कृषि रक्षा अधिकारी डॉ. उमेश कुमार गुप्ता ने बताया कि टिड्डी दल एक साथ लाखों की संख्या में गमन करते है। जिस क्षेत्र में इनका आक्रमण होता है वहॉ के क्षेत्र की हरियाली चट कर विरान कर देते है। इस कीट की वयस्क टिड्डियं हवा की दिशा में एक दिन में 100 से 150 किमी की दूरी तय कर लेती है। टिड्डी दल प्रायः सूर्यास्त के समय किसी न किसी पेड़ पौधों पर सूर्योदय होने तक आश्रय लेते है। आश्रय के समय ही समस्त वनस्पतियों को आर्थिक नुकसान पहुॅचाते है। एक मादा टिड्डी भूमि में 500 से 1500 अण्डे देकर सुबह उड़ जाती है। इनके नियन्त्रण के लिये संस्तुत रसायनों के छिड़काव का सबसे उपयुक्त समय रात्रि 11 बजे से सुबह 9 बजे तक होता है उन्होंने कहा कि किसान जिस क्षेत्र में टिड्डिी दिखे वहां थाली, ढोल, नगाड़े, घण्टियां, डीजे एवं पटाखे आदि की तेज आवाज करके इनको भगाने का प्रयास करें। प्रकाश प्रपंच का प्रयोग कर भी टिड्डियों को एकत्रित करके नष्ट किया जा सकता है। टिड्डी दल के आकाश में दिखाई देने पर घास-फूस जलाकर धूऑ करें। टिड्डी दल के आक्रमण के पश्चात कीटनाशक उपलब्ध न होने की दशा में टै्रक्टर चालित पावर स्प्रेयर के द्वारा पानी की तेज बौछार से भी इन्हे भगाया जा सकता है। इसके नियंत्रण के लिये कृषक भाई एजाडीरेक्टीन (नीम ऑयल) 1.50 से 2.00 लीटर प्रति हेक्टेयर 600 से 700 लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़कांव करें। टिड्डियों का प्रकोप होने पर क्लोरपायरीफॉस 20 प्रतिशत ईसी 1200 मिली, लेम्डा साइहेलोथ्रीन 5 प्रतिशत ईसी 400 मिली या बेन्थियों कार्ब 80 प्रतिशत 125 ग्राम, 500 लीटर पानी में प्रति हेक्टेयर की दर से घोल बनाकर छिड़काव करें या फेनवेलरेट 0.4 प्रतिशत अथवा मैलाथियान 5 प्रतिशत धूल 20 से 25 किग्रा प्रति हेक्टेयर की दर से सुबह पत्तियों पर ओस देखकर बुरकाव करें, साथ ही साथ राख का बुरकाव करके भी क्षति को कम किया जा सकता है।<जिला कृषि रक्षा अधिकारी ने कृषि विभाग के प्राविधिक सहायकों को निर्देशित किया हैं कि टिड्डी दलों पर निगरानी रखें तथा नामित नोडल अधिकारी से निरन्तर सम्पर्क बनायें रखें। इनके आक्रमण की दशा में जनपद स्तर पर बने कन्ट्रोल रुम मोबाइल नं0 9919588753 एवं 9450809578 पर जानकारी उपलब्ध कराएं या क्षेत्रीय केन्द्रीय एकीकृत नाशीजीव प्रबन्धन केन्द्र, लखनऊ के फोन नं0 0522-2732063 अथवा अपर निदेशक कृषि रक्षा लखनऊ को फोन नं0- 0522-2205868 पर भी सूचित कर सकते है। विभाग इन्हें नष्ट करने के लिए रात में इनके बैठने पर छिड़काव कराएगा। 

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रिपोर्ट आज़मगढ़ लाइव

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