मुख्यमंत्री ने पीड़ित की शिकायत को संज्ञान में लिया और डीआईजी को जांच सौंपी थी
जांच में खुलासा हुआ कि जेल की सलाखों के पीछे बंद युवक राधेश्याम यादव फर्जी मामले में बंद है
आजमगढ़: फर्जी मुकदमें में 95 दिनों तक सजा काटने के बाद एक युवक को जेल से आजादी मिली और वह बाइज्जत बरी हुआ। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के संज्ञान लेने में हुई जांच में जेल में बंद युवक निर्दोष साबित हुआ है। तरवां थाना क्षेत्र के सरायभादी गांव निवासी राधेश्याम यादव को एक मुकदमें में गवाही से रोकने के लिए इसी गांव के रामनवल यादव पुत्र सुबेदार ने स्वयं अपने पैर की त्वचा में गोली मार कर फर्जी मुकदमें में फंसा दिया। मुकदमा रामनवल के भाई रामाश्रय यादव ने दर्ज कराया। पुलिस ने तहरीर के आधार पर मुकदमा पंजीकृत कर लिया और निर्दोष रामनवल को गिरफ्तार कर जेल भज दिया। 95 दिनों से वह जेल की सलाखों के पीछे था। इसी दौरान उसने मुख्यमंत्री से गुहार लगाई। मुख्यमंत्री ने पीड़ित की शिकायत को संज्ञान में लिया और डीआईजी को जांच सौंपी। डीआईजी सुभाष चंद्र दुबे ने एसपी सिटी इला मारन की देखरेख में प्रकरण की जांच के लिए टीम गठित किया। जांच में खुलासा हुआ कि मामला फर्जी था और जेल की सलाखों के पीछे बंद युवक राधेश्याम फर्जी मामले में बंद है। इसके बाद विवेचन देवेंद्र कुमार की ओर से रिपोर्ट न्यायालय में प्रेषित की गई। जिस पर सिविल जज सीनियर डिवीजन मनीष कमार ने विवेचना के आधार पर राधेश्याम को दोषमुक्त करार देते हुए जेल से रिहा करने का आदेश निर्गत कर दिया। इसके आदेश के बाद राधेश्याम जेल से रिहा कर दिया गया।
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