सूर्य ग्रहण :: कहीं हुई मोक्ष की कामना तो कहीं मांगी गई गुनाहों की माफ़ी
आजमगढ़ : विज्ञानं कुछ भी कहे पर आस्था इसपर भारी हो जाती है, इंसान कहीं न कहीं अपने धर्म और पूर्वजों के द्वारा स्थापित मानदंडों अनुसरण करता ही है , इसमें कोई अनुचित बात भी नहीं है की किसी भी आदिकाल से चली आ रही बड़ी विलक्षण प्रक्रिया को लेकर हम सभी अपने अपने ईश्वर को याद कर लेते हैं। गुरुवार को ऐसा ही दिखा जब साल के अंतिम सूर्य ग्रहण के दौरान एक ओर जहां मंदिरों के कपाट बंद कर दिए गए और लोगों ने स्नान दान कर मोक्ष के लिए प्रार्थना की वहीं विभिन्न मस्जिदों में भी इस दौरान विशेष नमाज अदा की गई। हिन्दू धर्म का पालन करने वाले लोगों ने जहाँ ग्रहण दौरान अपने प्रचलित रीति रिवाज अपनाये वहीँ मुस्लिम बंधुओं ने भी अपनी मान्यता के अनुसार इस अवसर पर सर्वशक्तिमान ईश्वर को याद किया। साल के अंतिम सूर्य ग्रहण के दौरान शहर के मदरसा जामेतुर्रशाद में इमाम ओसामा नदवी ने नमाज अदा कराई। मदरसे के प्रबंध समिति से जुड़े तलहा आमिर ने बताया कि ऐसा पहली बार नहीं हुआ है। हम लोग चंद्र ग्रहण हो या सूर्य ग्रहण उस दौरान पहले भी विशेष नमाज अदा करते रहे हैं। नमाज के बाद गुनाहों की माफी मांगी गई, खुद की आत्मा को खुदा से जोड़ने का प्रयास हुआ। इसके अलावा गलती के लिए प्रायश्चित करने के साथ प्रार्थना की गई कि ईश्वर के बताए रास्ते पर ही हम गुजरें। सरायमीर में मदरसा बैतूल उलूम स्थित मस्जिद नजीर में गुरुवार को सुबह 9 बजे "नमाजे कुसूफ’ विशेष नमाज़ अदा की गई। इसमें हजारों लोगों ने भाग लिया। विशेष नमाज मौलाना अब्दुल हादी साहब ने पढ़ाई। दुआ मुफ्ती मोहम्मद सलमान साहब नायब मुफ्ती मदरसा ने की, जिसमें मुल्क के अमन व अमान के लिए दुआ की गई। तौबा इस्तगफार सब लोगों ने किया। सभी लोगों और मुल्क के हालात के साजगार होने की दुआ की गई। विशेष नमाज से पहले मौलाना नसीम अहमद मारूफी ने अल्लाह की कुदरत के बारे में बताया कि अल्लाह तआला जब चाहे सूरज की रोशनी को रोक दे, दुनिया को मुनव्वर कर दे। यह अल्लाह तआला का करिश्मा है ऐसे मौके पर अल्लाह तआला से तौबा इस्तगफार करनी ही चाहिए। वहीं सरायमीर कस्बा स्थित मीनारा जामा मस्जिद में में भी विशेष नमाज हाफिज अबु तलहा इमाम ने पढ़ाई एवं दुआ मांगी।
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