विभिन्न प्रदेशों के कलाकार तिरंगा लहराकर राष्ट्रीय एकता को प्रदर्शित कर रहे थे
आजमगढ़ : एक तरफ कड़ाके की ठंड में लोग कांप रहे थे, रविवार होने के कारण दुकानें बंद रहीं और चहल-पहल भी रोज की अपेक्षा कम लेकिन कलाकारों के चेहरे पर अजीबोगरीब उत्साह दिख रहा था। शहर की सड़कों पर लगा कि मानों पूरा भारत उतर आया हो। मौका था रंग महोत्सव के क्रम में रविवार को अग्रवाल धर्मशाला से निकलने वाले रंग यात्रा का। इसमें विभिन्न प्रदेशों की कलाओं का संगम दिख रहा था। बाहर से आने वाली टीमों में अपने प्रदेश की संस्कृति को प्रदर्शित करने की होड़ सी मची रही। किसी ग्रुप के कलाकारों ने शिव, काली, दुर्गा और अर्ध नारीश्वर का रूप धारण किया था तो किसी टीम की ओर से लोकनृत्य कठघोड़वा की प्रस्तुति की जा रही थी। ध्वनि विस्तारक यंत्रों से देश भक्ति गीत के साथ आजमगढ़ की विशेषता से जुड़े गीत बज रहे थे। वहीं कलाकार तिरंगा लहराकर राष्ट्रीय एकता को प्रदर्शित कर रहे थे। पिछले दिनों संपन्न हुए आजमगढ़ महोत्सव का थीम सांग 'आजमगढ़ सम्मान हमारा, आजमगढ़ अभिमान हमारा' पर मानों हर कलाकर झूमता नजर आया। सांस्कृतिक एकता का यह रंग देखने के लिए लोग बरबस घरों से बाहर निकल आए। रंग यात्रा में सबसे आगे हुनर संस्थान के बच्चे देशभक्ति गीतों पर नृत्य प्रस्तुत करते चल रहे थे। दूसरे स्थान पर जागरूक युवा सेवा संस्थान बलिया के कलाकार अपनी माटी के गीत गाते चल रहे थे। तीसरे क्रम पर पथ जमशेदपुर, चौथे क्रम पर निखिला उत्कल कला निकेतन कटक की टीम संबलपुरी नृत्य प्रस्तुत करते हुए चल रही थी। पांचवें क्रम पर नंद संगीत कला केंद्र खुर्दा उड़ीसा के कलाकार अपने पारंपरिक लोक नृत्य काठी घोड़ा को लेकर चल रहे थे। छठवें नंबर पर राक स्टार मिर्जापुर, सातवें क्रम पर मुजफ्फरपुर इन बिहार मुदगलपूरी नाट्य कला केंद्र के कलाकार किन्नरों की अंतरवेदना को प्रस्तुत कर रहे थे। आठवें क्रम पर नटराज नृत्य कला परिषद के कलाकार अपने पारंपरिक परिधानों में चल रहे थे। नवें क्रम पर उत्कल संगीत समाज कटक के कलाकार शिव तांडव प्रस्तुत कर रहे थे। 10वें क्रम पर मणिपुर ड्रैमेटिक यूनियन के कलाकार अपने प्रदेश का लोक नृत्य पेश करते हुए चल रहे थे। रंग यात्रा का नेतृत्व अभिषेक जायसवाल दीनू ने किया। पुलिस प्रसाशन के साथ संस्थान अध्यक्ष मंनोज यादव, हेमंत श्रीवास्तव, गौरव मौर्य, शशि सोनकर, डा. शशीभूषण शर्मा सहयोग कर रहे थे। अग्रवाल धर्मशाला से प्रारंभ होकर यह रंग यात्रा दलालघाट, कालीनगंज, चौक, मातबरगंज से वापस पुरानी अग्रवाल धर्मशाला पहुंचकर समाप्त हुई। पूरे यात्रा के दौरान कलाकारों ने संदेश दिया कि भारत विविधताओं का देश है, विभिन्न भाषाएं, विभिन्न परिधान हैं लेकिन सब एक हैं। राष्ट्रीय एकता व अखंडता के लिए ऐसे आयोजन नितांत आवश्यक हैं।
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