आजमगढ़। कड़ाके की ठंड से जनपद में जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया है। लोग शुक्रवार की ठंड को ही अब तक की सबसे ज्यादा ठंड मान रहे थे, लेकिन शनिवार को ऐसी गलन बढ़ी कि घरों में कैद होने के बाद भी हाथ-पांव गलने लगे। उधर दिन भर चली ठंडी हवा के थपेड़ों ने लोगों को घरों में कैद रहने पर विवश कर दिया। शनिवार की सुबह लोगों ने घने कोहरे के बीच आंख खोली। कोहरे के साथ चल रही पछुआ हवाओं ने गलन को इस कदर बढ़ा दिया था कि रजाई के अंदर भी गलन का एहसास हो रहा था। राहगीर चाय की दुकानों पर पहुंचते तो भट्ठी पर हाथ सेंकने लगते। चाय पीकर ठंड से बचने का जुगत करते रहे। पशु-पक्षी भी ठंड से बेहाल हो गए हैं। शुक्रवार को मौसम का न्यूनतम तापमान जहां पांच डिग्री से कम था वहीं शनिवार को यह चार डिग्री से भी नीचे आ गया। ठंड से बचाव के लिए लोगों का सहारा अलाव बना हुआ है। ठंड के कारण आम लोगों की दिनचर्या प्रभावित हो रही है। पूरी तरह जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया है। दैनिक मजदूरों को खासा परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। रोजाना पारा नीचे गिर रहा है। धूप ना के बराबर निकल रही है जिस कारण ठंड का असर नहीं घट रहा है। शनिवार को घने कोहरे के कारण सड़कों पर फर्राटा भरने वाले वाहनों की रफ्तार पर भी ब्रेक लगा। वाहन चालक अपने वाहनों की हेड लाइट जलाकर चलने को विवश हुए। वहीं जहां अलाव नहीं जले थे लोग अपने संसाधन से आग जलाकर शरीर को गर्म करते हुए देखे गए। आफिसों में हीटर के सहारे अधिकारी और कर्मचारी काम करने को विवश हैं। क्योंकि गलन इतनी ज्यादा है कि उंगलियां काम नहीं कर रही हैं। शनिवार को कुछ देर के लिए धूप निकली लेकिन वह राहत पहुंचाने में नाकाफी साबित हुई। शाम होते ही कोहरे ने फिर अपनी चादर फैलानी शुरू कर दी।
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