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पीएम के मन्त्र को साकार कर रही है आजमगढ़ की बेटी समृद्धि उपाध्याय

हाल ही में आयोजित 'साहित्य आजतक' में समृद्धि ने बड़े साहित्यकारों के बीच उपस्थिति दर्ज कराइ 

13 साल की उम्र में समृद्धि का पहला कविता संग्रह 'बेटी सदा के लिए ' प्रकाशित हुआ 

आजमगढ़ : प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ से महज तेरह साल की समृद्धि उपाध्याय इतना प्रभावित हुई कि उन्होंने " बेटी सदा के लिए " शीर्षक से एक कविता संग्रह लिख डाली । कविताएं ऐसी कि बड़ों-बड़ों को सोचने पर मजबूर कर दे । समृद्धि उपाध्याय आठ साल की उम्र से ही काविताएं लिख रही हैं । महज 13 साल की उम्र में इनकी पहली कविता संग्रह 'बेटी सदा के लिए ' प्रकाशित हुई है जो बेहद पसंद की जा रही है । मूल रुप से आजमगढ़ की रहने वाली समृद्धि कक्षा आठ की छात्रा हैं और अपनी कविताओं के माध्यम से बेटियों के समान को लेकर सामाजिक तौर पर अलख जगा रही हैं ।
हाल ही में आयोजित साहित्य आजतक में समृद्धि ने बड़े बड़े साहित्यकारों के बीच अपनी उपस्थिति दर्ज करा कर साबित कर दिया कि प्रतिभा उम्र की मोहताज नहीं होती । बॉलीवुड के दिग्गज गीतकार संदीप नाथ और चन्द्रकांता के यक्कू फेम अभिनेता आखिलेन्द्र मिश्रा ने भी समृद्धि की दिल खोलकर तारीफ की है । शहर के मोहल्ला हीरापट्टी के श्री डीपी उपाध्याय की पोती समृद्धि का मानना है कि साहित्य से उनका पुराना नाता है । दादा जी को वह अपना प्रेरणास्त्रोत मानती है ।
समृद्धि ने अपनी कविता संग्रह में नारी शक्ति, कन्या भ्रूण हत्या, पर्यावरण, आतंकवाद , प्रकृति और मानवीय मूल्यों पर जोर दिया है । समृद्धि ने अपनी कविता के माध्यम से परम प्रिय भारतरत्न स्व. अटलजी को श्रद्धांजलि दी है । यथार्थवादी होने के साथ-साथ समृद्धि ने अपनी कविताओं के माध्यम से उन सामाजिक बुराइयों पर प्रहार किया है जिन पर मंथन करने की जरूरत है । समृद्धि के पिता पेशे से पत्रकार होने के साथ एक लेखक और गीतकार के तौर पर बॉलीवुड से भी जुड़े हुए हैं । समृद्धि ने बालफिल्म 'बाल भूतनी' के भी दो गीत लिखें हैं ।
समृद्धि की कविता संग्रह 'बेटी सदा के लिए' शीर्षक से ही पता चल जाता है कि इन्होंने अपनी कविता के माध्यम से बेटियों के महत्व को सामने लाने का प्रयास किया है । नन्ही कवयित्री ने भ्रूण हत्या करने वाले जल्लादों पर हमला करते हुए लिखा है : -
कोख ने औजार से रोते हुए पूछा,
गर्भ गिराने से तुम्हें डर नहीं लगता,
मेरे भ्रूण को अपने हाथो मारने वाले,
क्या तेरा ईमान कभी नही जगता,
औजार ने बड़ी मासूमियत से कहा,
जीव को निर्जीव करना महापाप है,
लेकिन मैं तो एक साधन मात्र हूँ,
भ्रूण का कातिल इसका अपना बाप है।

समृद्धि ने मां के महत्व पर भी जोर देते हुए बहुत ही मार्मिक पंक्तियां लिखी है :
नौ माह कोख में, पालती एक जान,
रक्तबीज वाहिनी से,अंकुरित करती जान,
संवेदना की वेदना से, सिचंती रहती वो प्राण,
कहते हैं जिसे मां, वह होती है महान।

आतंकवाद फैला रहे पाकिस्तान को भी समृद्धि ने अपनी कविता के जरिए करारा जवाब दिया है :
हम बुद्ध हैं हम नानक हैं,
हम संत कबीर हैं महावीर,
लेकिन जब जंग करोगे तो,
ना छोड़ेंगे, तुम्हें देंगे चीर ।

कवयित्री ने भारतरत्न स्व. श्री अटल बिहारी वाजपेयी को श्रद्धांजलि देते हुए अपनी एक कविता समर्पित की है :
जो ठान ली, सो ठान ली,
जो कर गए, जिस काल में,
वो आज भी यथार्थ है,
वो धैर्य की पहचान हैं।

कवयित्री ने अपनी कविता के जरिए गरीब-गुरबों की पीड़ा को भी सामने लाने की कोशिश की है ।
समृद्धि पढ़ाई में भी अपनी कक्षा में अव्वल रहती हैं । वह फिलहाल मौजूदा शिक्षा व्यवस्था पर कटाक्ष करता एक उपन्यास लिख रही हैं । बड़ी होकर समृद्धि साहित्य के साथ साथ राजनीति के क्षेत्र में आना चाहती हैं ताकि वह महिलाओं की आर्थिक और सामाजिक सुरक्षा को और सुदृढ़ कर सके । समृद्धि के आदर्श पूर्व प्रधानमंत्री भारतरत्न स्व श्री अटल बिहारी वाजपेयी जी हैं । खाली समय में समृद्धि अपने दादा जी को कविताएं सुनाती हैं और पेटिंग बनाती हैं ।

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रिपोर्ट आज़मगढ़ लाइव

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