सिख समुदाय के लोगों ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया, भजन कीर्तन के बाद अटूट लंगर चलाया गया
आजमगढ़ : श्री गुरूनानक देव महाराज के 550वें प्रकाशोत्सव पर मंगलवार को गुरुद्वारा श्री गुरूनानक दरबार समिति विट्टल घाट हनुमानगढ़ी पर धूमधाम से मनाया गया। अखण्ड पाठ साहिब के समापन के बाद अरदास व प्रसाद वितरण हुआ। वहीं कीर्तन दिवान में भजन कीर्तन के बाद अटूट लंगर चलाया गया। गुरुद्वारा गुरूनानक दरबार समिति विट्ठल घाट हनुमानगढ़ी में प्रकाशोत्सव पर अखण्ड पाठ साहिब का सुबह 10 बजे समापन हुआ। इसके बाद अरदास व प्रसाद वितरण का कार्यक्रम हुआ। वहीं कीर्तन दिवान दोपहर 12 बजे से दो बजे तक चला। इसमें मुरादाबाद के ज्ञानी सुखप्रीत सिंह व श्री सुंदर गुरूद्वारा के ज्ञानी सुनील सिंह ने भजन कीर्तन किया। जिसमें सिख समुदाय के लोगों ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया और रमे रहे। गुरूद्वारा में अरदास, प्रसाद वितरण व अटूट लंगर चलाया गया। गुरूद्वारा प्रबंधक सुरेंद्र सिंह ने कहाकि जगतगुरू गुरूनानक देव का जन्म मेहता कल्याण दासजी व माता तृप्ताजी के घर वर्ष 1469 ई में श्री ननकाना साहिब (पाकिस्तान) की पावन धरती पर हुआ। गुरूनानक देवजी ने अपने जीवनकाल में मरदानाजी को भूख लगने पर कौड़े रीठे को मीठा किया, मलिक कंधारी द्वारा पानी देने से मना करने पर रेत से ही पानी बनाना तथा उसी के द्वारा एक विशाल पत्थर फेंकने पर हाथ से रोकना आदि अलौकिक शक्ति का परिचय दिये। गुरूजी ने मानव समाज को एक प्रभु परमात्मा की भक्ति करने का संदेश दिया। उन्होंने मानव कल्याण के लिए नाम जपो, कीरत करो बंड छको का उपदेश दिया। उन्होंने समाज को प्रेम, नम्रता, विशालता व एकत्व का संदेश दिया ‘अवल अल्लाह नूर उपाया कुदरत के सब बंदे, एक नूर ते सब जग उपजया कौन भले कौन मन्दे। इसके बाद रात्रि दिवान में गुरु सिंह सभा श्री सुंदर गुरूद्वारा मातबरगंज में कीर्तन दरबार हुआ, जो शाम साढ़े छह बजे से साढ़े आठ बजे तक चला। इसके बाद अरदास, प्रसाद वितरण व गुरु का अटूट लंगर बरता। इसमें जत्थेदार सतनाम सिंह, सुरेंद्र सिंह सहित सिख समुदाय के लोग मौजूद रहे।
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