जिलाधिकारी नागेन्द्र प्रसाद सिंह ने कलेक्ट्रेट सभाकक्ष में कन्या सुमंगला योजना की जिला स्तरीय अनुश्रवण समिति के बैठक ली
आजमगढ़ 30 जुलाई-- समाज में प्रचलित कुरीतियों, भेदभाव जैसे, कन्या भ्रूण हत्या, असमान लिंगानुपात, बाल विवाह, बालिकाओं के प्रति परिवार की नकारात्मक सोच जैसी प्रतिकूलताओं के कारण प्रायः बालिकायें अपने जीवन संरक्षण, स्वास्थ्य एवं शिक्षा जैसे मौलिक अधिकारों से वंचित रह जाती हैं। इस परिवेश के दृष्टिगत उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा कन्या सुमंगला योजना प्रारम्भ किया गया है। इस योजना से बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ की योजना सुदृढ़ होगी तथा महिलाओं को सामाजिक सुरक्षा के साथ विकास के नये अवसर प्रदान होंगे। उक्त बातें जिलाधिकारी नागेन्द्र प्रसाद सिंह द्वारा कलेक्ट्रेट सभाकक्ष में कन्या सुमंगला योजना की जिला स्तरीय अनुश्रवण समिति के बैठक की अध्यक्षता करते हुए कही गयी।जिलाधिकारी द्वारा बताया गया कि कन्या सुमंगला योजना के अन्तर्गत 06 श्रेणियों में धनराशि दी जायेगी, प्रथम श्रेणी में बालिका के जन्म होने पर 02 हजार रू0, दूसरी श्रेणी में बालिका के एक वर्ष तक के पूर्ण टीकाकरण के उपरान्त 01 हजार रू0, तीसरी श्रेणी में कक्षा प्रथम में बालिका के प्रवेश के उपरान्त रू0 02 हजार, चतुर्थ श्रेणी में कक्षा 06 में बालिका के प्रवेश के उपरान्त रू0 02 हजार, पंचम श्रेणी में कक्षा 09 में बालिका के प्रवेश के उपरान्त रू0 03 हजार तथा छठवें श्रेणी में ऐसी बालिकाएं जिन्होने कक्षा 12वीं उत्तीर्ण करके स्नातक की डिग्री या कम से कम दो वर्षीय डिप्लोमा कोर्स में प्रवेश लिया हो रू0 05 हजार, लाभार्थी को एक मुश्त दिया जायेगा। जिला प्रोबेशन अधिकारी बीएल यादव ने बताया कि इस योजना के लिए आनलाइन आवेदन करना है। कन्या सुमंगला योजना के अन्तर्गत पात्रता के संबंध में, लाभार्थी का परिवार उ0प्र0 का मूल निवासी हो तथा उसके पास स्थायी निवास प्रमाण पत्र हो जिसमें, राशन कार्ड/आधार कार्ड/वोटर पहचान पत्र/विद्युत/टेलीफोन का बिल मान्य होगा, लाभार्थी की पारिवारिक वार्षिक आय अधिकतम 03 लाख रू0 हो, किसी परिवार की अधिकतम दो ही बच्चियों को योजना का लाभ मिल सकेगा, लाभार्थी के परिवार का आकार, परिवार में अधिकतम दो बच्चे हों, किसी महिला को द्वितीय प्रसव से जुड़वा बच्चे होने पर तीसरी संतान के रूप में लड़की को भी लाभ अनुमन्य होगा। यदि किसी महिला को पहले प्रसव से बालिका है व द्वितीय प्रसव से दो जुड़वा बालिकायंे ही होती हैं तो केवल ऐसी अवस्था में ही तीनों बालिकाओं को लाभ अनुमन्य होगा। यदि किसी परिवार ने अनाथ बालिका को गोद लिया हो, तो परिवार की जैविक संतानों तथा विधिक रूप में गोद ली गयी संतानों को सम्मिलित करते हुए अधिकतम दो बालिकायें इस योजना की लाभार्थी होंगी। इस अवसर पर बीएसए देवेन्द्र कुमार पाण्डेय, जिला विद्यालय निरीक्षक डाॅ0 वीके शर्मा, जिला प्रोबेशन अधिकारी बीएल यादव उपस्थित रहे।
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