सपा जहां थी वहीं सिमट कर रह गयी और बसपा जो 2014 में शून्य पर थी 10 सीटें जीतने में सफल रही
आजमगढ़। गठबंधन को लेकर आजमगढ़ के निवर्तमान सांसद मुलायम सिंह की भविष्यवाणी सच साबित हुई। वर्ष 2014 में मोदी लहर के बाद भी मुलामय सिंह यादव ने अकेले दम पर पांच सीट हासिल किया लेकिन अखिलेश गठबंधन के बाद भी कोई करिश्मा नहीं कर सके। बता दें कि जब विधानसभा चुनाव 2017 में जब सपा और कांग्रेस का गठबंधन हुआ था उस समय आजमगढ़ सांसद और राजनीति के योद्धा मुलायम सिंह यादव ने नाराजगी जतायी थी। उन्होंने साफ कहा था कि इस गठबंधन से सपा को नुकसान होगा। परिणाम आया तो सपा 50 का आंकड़ा भी नहीं पार कर सकी। जबकि सपा ने मुलायम सिंह के नेतृत्व में 2012 के विधानसभा चुनाव में पूर्ण बहुमत हासिल किया था। उस समय माना गया कि गठबंधन के कारण कांग्रेस का वोट भाजपा की तरफ शिफ्ट हो गया जिसके कारण बीजेपी ने बड़ी जीत हासिल की और सपा को भारी नुकसान हुआ। लोकसभा चुनाव में जब सपा और बसपा के बीच गठबंधन की बात शुरू हुई तभी मुलायम सिंह ने कह दिया था कि इस गठबंधन से पार्टी को नुकसान होगा लेकिन अखिलेश ने पिता के सुझाव को दरकिनार कर गठबंधन किया। नतीजा वे बसपा की अपेक्षा आधी पाए और मामला पिछली बार की ही तरह रहा । सपा का मानना था कि बसपा का वोटबैक उनके प्रत्याशियों के पक्ष में जायेगा और सपा के वोटर बसपा के लिए मतदान करेंगे और वे यूपी में बीजेपी का सूपड़ा साफ कर देंगे। लेकिनअनुभवी मुलामय जानते थे कि बसपा से जिस भी दल ने गठबंधन किया वह किनारे पर चला गया और बसपा फायदे में रही। इसलिए उन्हें यह गठबंधन हजम नहीं हो रहा था। परिणाम सामने हैं। सपा जहां थी वहीं सिमट कर रह गयी है और बसपा जो 2014 में शून्य पर थी 10 सीटें जीतने में सफल रही। आजमगढ़ ने सपा मुखिया को राहत जरूर दी। यहां अखिलेश यादव ढाई लाख से अधिक मतों से जीतने में सफल रहे। अखिलेश यादव को यहां पहले ही राउंड में बढ़त मिली और अंतिम तक कायम रही लेकिन समाजवादियों के गढ़ बलिया में भी गठबंधन कोई करिश्मा नहीं कर सका।
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