मौलवी अब्दुल हक ने पराधीन भारत के समय अंग्रेजों के खिलाफ कई बार संघर्ष किया था
आजमगढ़: स्वतंत्रता संग्राम सेनानी की स्मृति में द्वार बनाने की मांग को लेकर सोमवार को उनके पौत्र ने जिलाधिकारी को शिकायती पत्र सौंपा और मांगों के बावत शीध्र निर्देश जारी करने की गुहार लगायी। डीएम को दिये गये शिकायती पत्र में स्वतंत्रता संग्राम सेनानी के पौत्र आसिफ मुजतबा पुत्र स्व अहमद मुजतबा ने बताया कि शहर के जालंधरी कोट निवासी मेरे दादा मौलवी अब्दुल हक ने पराधीन भारत के समय अंग्रेजों के खिलाफ कई बार संघर्ष किया था। जिसके चलते अंग्रेजों ने उन्हें 1942 में भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान सन् 1942 में छह मास की कड़ी कैद की सजा सुनायी थी। इसके बाद उन्हें स्वाधीनता संग्राम सेनानी आजमगढ़-7 का मेडल भी मिला लेकिन आज तक उनके याद में एक भी स्मृति द्वार या सड़क का नाम दर्ज भी नहीं कर उनकी उपेक्षा की गयी। जिसके कारण उनके परिजनों व स्थानीय लोगो में रोष है। पौत्र आसिफ मुजतबा ने डीएम से मांग किया कि जालधंरी स्थित आवास से कोटे चौराहे की दूरी लगभग 20 मीटर है। स्वतंत्रता संग्राम सेनानी की याद में कोई मार्ग या स्मृति द्वार बनाया जाये ताकि देश को आजाद कराने वाले को सम्मान मिल सकें। मांग करने वालों में शंकर राम, हीरालाल, सवितानन्द, नवीन, कन्हैया, उमाशंकर, अजय कुमार गुप्ता, जमील अहमद, बेलाल अहमद, रविप्रकाश, आदि मौजूद रहे।
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