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सरायमीर में शांति,प्रशासन ने बना रखी है नजर, बाजार से रौनक नदारद

बोले बुजुर्ग,उकसाने पर इस तरह का काम हुआ,इसमें केवल नुक्सान है कोई लाभ नहीं 
निजामाबाद/सरायमीर: आजमगढ़ :: आपत्तिजनक धार्मिक टिप्पणी पर हुए बवाल के नियंत्रण के बाद दूसरे दिन रविवार को सरायमीर कसबे में माहौल सामान्य रहा। व्यापारियों ने अपनी दुकानें खोली लेकिन ग्राहक नदारद रहे।सरायमीर कस्बे में गलियां सूनी पड़ी थी। दुकानदार ग्राहकों का इंतजार कर रहे थे सुबह से शाम तक दुकान खोलकर बैठे रहे लेकिन रविवार को दुकान का किराया देने तक के लिए रुपया नहीं आया। पुलिस फोर्स लगभग आधा दर्जन स्थानों पर तैनात की गई थी। पुलिस बूथ के सामने कई थाने के जीप खड़ी रही। पीएसी के जवान मार्च करते नजर आये। पुलिस के अला अधिकारी रहे। दुकानदार दुकान में बैठकर गेम खेल रहे थे और एक दूसरे दुकानदारी के बारे में बात करते नजर आए। चिंता जाता रहे थे की इस तरह की घटना के कारण कई हफ्तों तक ग्राहक नजर नहीं आएंगे। अराजकतत्वों की वजह से हम दुकानदारों की रोजी रोटी छीन गई जब तक ग्राहकों के दिल से भय नहीं निकलेगा तब तक यही हालात रहेंगे । कुछ दुकानें प्रात: 9 बजे ही खुल गई थी लेकिन ग्राहकों के ना आने के कारण कुछ दुकानदारों ने दोपहर बाद ही दुकानें बंद कर घर के लिए रवाना हो गए। दुकाने व कस्बे की गलियां सुनी सुनी नजर आयी। केवल मेंन रोड पर आवागमन के लिए वाहन नजर आए।
सरायमीर कस्बे में मुस्लिम समुदाय के बुजुर्ग लोगों से बात की तो लोगों ने कल हुई घटना को गलत करार दिया और कहा कि अगर रासुका लगाने के लिए मांग करना था तो एक अच्छे नागरिक होने की तरह मांग करना चाहिए था ना की धरना प्रदर्शन व पत्थरबाजी करके। यह सब करने से नतीजा कुछ हासिल नहीं होगा इसमें केवल नुकसान है लाभ कुछ भी नहीं। कुछ नेताओं के उकसाने पर नई नस्ल के बच्चों ने इस घटना को अंजाम दिया। इस घटना में दोषियों के साथ.साथ निर्दोष भी फंस गए हैं। ऐसी हरकत करने के लिए इस्लाम हमें कभी इजाजत नहीं देता।

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रिपोर्ट आज़मगढ़ लाइव

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