आजमगढ़ 30 अक्टूबर -- कृषि फसलों की कटाई हेतु मजदूरों की समिति उपलब्धता, आधुनिक कृषि यंत्रो के माध्यम से समय एवं श्रम की बचत के दृष्टिगत कृषकों द्वारा कटाई एवं मड़ाई हेतु आधुनिक कृषि यंत्रो विशेषकर कम्बाइन हारवेस्टर को तेजी से अपनाया जा रहा है। कम्बाईन हारवेस्टर के प्रयोग से जहां श्रम एवं समय की बचत हो रही है वही पर धान एवं गेहूं जैसी फसले जिसके अवशेष को पशुओं के चारे के रूप में प्रयोग किया जाता है में कमी स्पष्ट परिलक्षित हो रही है। इसका मुख्य कारण फसलों की कटाई लगभग एक फुट छोड़कर किया जाना है। खेतों में बचे इन फसल अवशेषों को सामान्यतया कृषकों द्वारा जला दिए जाने की प्रवृत्ति में उतरोत्तर वृद्धि हो रही है। यह जानकारी देते हुए जिलाधिकारी चन्द्र भूषण सिंह ने बताया है कि की इससे न केवल धरती का तापमान बढ़ रहा है बल्कि पर्यावरण दूषित होने के साथ-साथ पशुओें मे चारे की कमी एवं लाभदायक जीव जन्तुओं के नष्ट हो जाने से मृदा उर्वरता भी दुषप्रभावित हो रही है। फसल अवशेष जलाये जाने का दुष्प्रभाव वायु प्रदुषण के रूप में धूप-कोहरा की मात्रा में वृद्धि होना है जिससे न स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है बल्कि कतिपय स्थानों पर अग्नि काडं जैसे भयानक घटनाएं भी घटित हो रही है। जिलाधिकारी ने कहा है कि वर्तमान खरीफ में धान की कटाई का कार्य प्रारम्भ हो चुका है अतः मा0 राष्ट्रीय हरित अभिकरण द्वारा पारित विभिन्न आदेशों के अनुक्रम में शासन द्वारा कम्बाइन हारवेस्टिंग मशीन स्ट्रा रीपर विद बाइन्डर अथवा स्ट्रा रीपर का प्रयोग अनिवार्य रूप से कर दिया गया है। उन्होने कहा है कि बिना रीपर मशीन के प्रयोग करने वाले कम्बाइन मशीन मालिक के विरूद्ध सिविल दायित्व भी निर्धारित किया जायेगा। कृष अपशिष्टों को जलाने वाले दोषी व्यक्तियों को मा0 राष्ट्रीय हरित अभिकरण के आदेश के क्रम पर्यावरणीय क्षतिपूर्ति हेतु नियमानुसार दण्ड देना पड़ेगा। उन्होने बताया है कि कृषि भूमि का क्षेत्रफल 2 एकड़ से कम होने की दशा रू0 25 सौ प्रति घटना, कृषि भूमि का क्षेत्रफल 2 एकड़ से अधिक किन्तु 5 एकड़ तक होने की दशा में रू0 5 हजार प्रति घटना तथा कृषि भूमि का क्षेत्रफल 5 एकड़ से अधिक होने की दशा में रू0 15 हजार प्रति घटना दण्ड देना पड़ेगा।
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