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हुंनर रंग महोत्सव: तीसरे दिन नाटकों की प्रस्तुतियों ने दर्शकों को बांधे रखा


आजमगढ़। सामाजिक बुराईयों, राजनैतिक भरस्टाचार , ब्रिटिश शोषण, आतंकवाद एवं साम्प्रदायिकता पर करारा प्रहार करते नाटकों की प्रस्तुतियों ने रंग महोत्सव के तीसरे दिन को नई उंचाई प्रदान की और यह बात सिद्ध  कर दिया कि रंग मंच ही एक ऐसा सशक्त माध्यम है जिससे हम अपनी बात सीधे लोगों के मनो मस्तिष्क में डाल सकते है। हुनर संस्थान द्वारा आतंकवाद एवं साम्प्रदायिकता के विरुध्ध रंगान्दोलन 'हुनर रंग महोत्सव 2016' की तीसरी शाम जनपद के प्रसिद्ध  व्यवसायी स्व. कृष्णमुरारी अग्रवाल को समर्पित रही। वेस्ली इण्टर कालेज में चल रहे इस कार्यक्रम का उद्घाटन नपा अध्यक्ष इन्दिरा देवी , अभिषेक जायसवाल, अशोक अग्रवाल, आशीष अग्रवाल, और पवन अग्रवाल ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्जवलन कर किया। आमंत्रित सभी  अतिथियों का स्वागत संस्थान अध्यक्ष मनोज कुमार यादव व अनीता साइलेस ने माल्यार्पण कर किया। राष्ट्रगान के साथ सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रारम्भ हुए। सर्वप्रथम समूह नृत्यों की प्रस्तुति के दौर में राक स्टार डांस ग्रुप मिजार्पुर द्वारा सलामत खान के निर्देशन में आधुनिक नृत्य की प्रस्तुति पर दर्शक तालियां बजाने पर मजबूर हो गये। परिचय ग्रुप उडीसा द्वारा समूह नृत्य की जबरदस्त प्रस्तुति देखने को मिली। अगली प्रस्तुति के रूप में उपशास्त्रीय नृत्य की प्रस्तुति की गयी। अगले समूह नृत्य के रूप में एन0 मेमचैबी के निर्देशन में मणिपुरी नृत्य की प्रस्तुति की गयी। समूह नृत्यों के दौर में अगली प्रस्तुति टैलेण्ट डांस ग्रुप मिजार्पुर द्वारा शिवम राक के निर्देशन में की गयी। गीतांजली कलिता के निर्देशन में असम का पारंपरिक बीहू नृत्य की प्रस्तुति की गयी। तृष्णा ग्रुप द्वारा पारम्परिक छत्तीसगढी नृत्य की प्रस्तुति की गयी। समूह नृत्यों के बाद एकल नृत्यों के दौर में मराठी भाषा में लोकनृत्य की प्रस्तुति की गयी। असम की रानी दास द्वारा असम के पारंपरिक बीहू नृत्य की प्रस्तुति की गयी। मृदुश्मिता दास द्वारा उपशास्त्रीय नृत्य असमियां की खूबसूरत प्रस्तुति देखने को मिली। गुंजना कलिता द्वारा असमियां शास्त्रीय नृत्य की प्रस्तुति की गयी। कामरूप असम की जायजीत कश्यप द्वारा आधुनिक नृत्य की खूबसूरत प्रस्तुति की गयी। घीरारूपा द्वारा असम की पारंपरिक बीहू नृत्य की प्रस्तुति की गयीं इसके अतिरिक्त विकास कलिता, चंदन वैश्य, शीतल शिवांगी शु•ादर्शिनी, नरेन्द्र कुमार ध्रुव,  पटनायक इलिना पात्रा, इतिश्री बेहरा द्वारा नृत्य की प्रस्तुति की गयी। नृत्यों के बाद नाटकों के दौर में कला परिषद धेनाकनाल उडीसा द्वारा दिलीश्वर महापात्रा द्वारा लिखित व शत्रुघ्नमति के निर्देशन में ब्रिटिश हुकूमत की क्रूरता पर चोट करता हुआ नाटक बांउश ठेगां रे स्वाधीनता की की प्रस्तुति की गयी। नाटक में भारतीयों का शोषण करने वाला हथियार और गोलाबारूद से भरा विशाल पुलिस सेना से सुरक्षित एक गोरा अंग्रेज मेजर बेजलगेट बांस के डंडा द्वारा मारा गया, वर्ष 1939 में इस घटना के घटित होने पर ब्रिटिश संसद में शोर मच गया वहां की संसद ने सवाल किया कि क्या बांस का डंडा, बंदूक, तोप तथा एसएलआर से ज्यादा ताकतवर हथियार है। वहां की संसद ने आदेश दिया कि हिन्दुस्तान से बांस का डंडा लाकर प्रस्तुत किया जाय। इस पर उडीसा से बांस के डंडो से भरे जहाज को ब्रिटेन के लिए रवाना किया गया। थियेटर मूवमेंट कटक उडीसा द्वारा अक्षय मोहन्ती द्वारा लिखित व रश्मिरेखा के निर्देशन में कामेडी नाटक पेटेण्ट मेडिसिन की खूबसूरत प्रस्तुति की गयी। इस अवसर गौरव मौर्य, सुषमा जावलेकर महाराष्ट्र डा. शशिभूषण शर्मा, मनोज कुमार मौर्य, राकेश, अमरजीत विश्वकर्मा, मनीष, विनय, आशीष, रवि, आकाश, सत्यम शर्मा, कमलेश सोनकर, शरीफज्जमा आजमी, सुधीर शर्मा, सुनील मौर्या, विनय कृष्ण अष्ठाना सहित सभी  संस्थान पदाधिकारी व नागरिक उपस्थिति थे। कार्यक्रम का संचालन सुनील दत्त विश्वकर्मा ने किया।

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रिपोर्ट आज़मगढ़ लाइव

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