आजमगढ़। गिरते तापमान ने लोगों की परेशानी बढ़ा दी है। ठंठ में ठिठुरते लोगों को बचाने के लिए प्रशासन अभी तक मेहरबान नहीं हो पाया है। फिलहाल स्वयंसेवी संगठन द्वारा धरों से गर्म कपड़े एकत्रित कर सोमवार को अपनी कार्यलय से जरूरतमंदों में कपड़े बाँटने का कार्यक्रम शुरूकर दिया है जो दिसम्बर माह तक निरन्तर चलेगा। नगर पालिका परिषद अभी भी लकीर पर चलते हुए 15 दिसम्बर का इंतजार कर रहा है जब वह रैन बसेरों का इंतजाम करेंगा और सार्वजनिक स्थलों पर अलाव की व्यवस्था शुरू करेगा। ठण्ड के प्रकोप से राहत पहुँचाने में जिला प्रशासन भी फिसड्डी दिख रहा है। जिले की नगर पंचायतों, नगर पालिकाओं के अधिकारी गर्म कमरों में चैन की नींद सो रहे हैं और जन प्रतिनिधियों पर तो ठण्ड का कोई असर ही नहीं पड़ रहा है। कड़ाके की ठण्ड ने लोगों का जीना मुहाल कर दिया है। नगरीय क्षेत्रों में जाड़े के दिनों में लोग मिट्टी के तेल से अंगीठी आदि जलाकर अपनी ठण्ड दूर करने का प्रयास कर लेते थे। परन्तु सस्ते गल्ले की दुकानों से मात्रा एक लीटर मिट्टी का तेल एक परिवार के महीने भर के लिए मिलता है जो दो दिन के लिए भी पर्याप्त नहीं होता जबकि काले बाजार में 60 रूपये लीटर मिट्टी का तेल बिक रहा है। कुहरे एवं ठण्ड में यात्राएं भी असुरिक्षत होने लगी है। शाम होते ही सड़के वीरान होने लगती है। लोग घरों में गर्म कपड़ों के बीच दुबक जाते है। रात में सिर्फ आवार कुत्तों व जानवरों की आवाजे ही सुनायी देती है। इस कड़कड़ाती ठण्ड के मौसम में जबकि परा 12 डिग्री से नीचे की ओर गोता खा रहा हो ऐसे में लोगों की सुरक्षा में सार्वजनिक स्थलों पर ड्यूटी करने वाले होमगार्ड व अन्य कर्मचारियों के साथ रिक्शा टेम्पों चलाकर दूर दराज से आये राजी रोटी कमाने वाले मजदूरों को तो मजबूरन सड़कों पर ही रात बितानी पड़ रही। सार्वजनिक स्थलों पर अलाव आदि के व्यापक इंतजाम होते तो उन्हें थोड़ी राहत मिलती यात्रियों को भी सुविधा होती।
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