आजमगढ़। भारत के महत्वपूर्ण पर्वों में से एक पाँच दिनों तक चलने वाले पर्व दीपावली की शुरूआत धनतेरस से हो चुकी है। पर्व के दूसरे दिन नगर चतुर्दशी शनिवार को लोगों ने अपने धरों की साफ-सफाई रंगाई पुताई को अन्तिम रूप प्रदान किया। धार्मिक मान्यता में नरक चौदश को छोटी दीपावली माना जाता है। आज भी लोगों ने दीपावली, •भाई दूज, गोवर्धन, पूजा, हनुमत पूजा आदि में प्रयुक्त होने वाली सामग्रियों की जमकर खरीददारी की। बाजार आज भी सजे रहे। पौराणिक कथाओं एवं रामायण के अनुसार भगवान श्रीराम की लंका विजय एवं राक्षस राज रावण के समस्त आततायी, अत्याचारी परिवार के समूल विनाश के बाद पुष्पक विमान से राम जानकी, लक्ष्मण ,हनुमान आदि के अयोध्या आने पर अयोध्या वासियों द्वारा अति प्रसन्नता के फल स्वरूप दीपों से सम्पूर्ण अयोध्या को प्रकाशित कर दिया गया था। इसी कारण सम्पूर्ण भारत वर्ष में दीपोत्सव के रूप में कार्तिक मास के कृष्णपक्ष अमावस्या को दीपावली पर्व मुख्यरूप से मनाया जाता है। दीपावली के पूर्व नरक चतुर्दशी को यमराज की आराधना किये जाने की परम्परा , यम दीप दान दक्षिण दिशा में करने वाले परिवार में अकाल मृत्यु नहीं होती ऐसी मान्यता है कि मृत्यु के देवता यमराज में अकाल मृत्यु पर रोक का वरदान देते हुए ऐसा करने का विधान दिया है। वही गोवर्धन की तैयारी में महिलाआें ने देर शाम को खरीददारी की।
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