आजमगढ़ : बाबा भवर नाथ जी मंदिर में चल रही नौ दिवसीय श्री राम कथा एवं ज्ञान यज्ञ के छठवें दिन बाबा सर्वेश जी महाराज ने कहा कि नाम का हमारे जीवन पर बड़ा ही प्रभाव पड़ता है इसलिए जब भी अपने पुत्र का नामकरण करें तो बहुत सोच समझकर करें सदा पुत्र का नाम ऐसा रखें जिसका कोई अर्थ निकले व्यर्थ के नाम कदापि न रखें। युवा संत सर्वेश जी महाराज ने रामप्रभु व उनके अनुज तीनों भाइयों के नाम करण एवं शिक्षा दीक्षा की कथा को संगीत व गीत के माध्यम से श्रोताओं को सुनाया उन्होंने कहा कि पूरी श्रृष्टि में मां सा दूसरा इस धरती पर कोई नहीं है मां और भगवान में कोई अंतर नहीं है मां भगवान का दूसरा रुप है, बच्चा जब अपने मुख से पहला शब्द निकालता है तो वह मॉ ही होता है यह कुदरत की देन है ईश्वर की कृपा है जीवन की प्रथम गुरु मां ही होती है जो अपने पुत्र को सदाचार , नैतिकता का पाठ पढ़ाती है। मॉ सा श्रेष्ठ पूरी धरती पर और दूसरा कोई नहीं है। मां का हृदय कभी भी नहीं दुखाना चाहिए क्योंकि इससे बड़ा और कोई पाप नहीं है इस बात को सदा हर पुत्र को याद रखनी चाहिए की मां के दिल को कभी ठेस ना पहुंचे। प्रेम मूर्ति सर्वेश जी ने कहा की बिना शिक्षा के मानव जीवन अधूरा है शिक्षा के बिना मनुष्य पशु के समान होता है और जो मां बाप अपने पुत्र को शिक्षा से वंचित रखते हैं वह शत्रु के समान होते हैं हमें प्रात: काल उठकर अपने माता-पिता व गुरु के साथ-साथ धरती मां को प्रणाम अवश्य करना चाहिए क्योंकि यह वह भारत वर्ष की धरती है जहां प्रभु ने अनेक रुप में अवतार लिए और आप सभी बड़े ही सौभाग्यशाली हैं जिन्होंने भारत वर्ष में जन्म लिया भारत वर्ष में अयोध्या पुरी है जो सात पुरियों में श्रेष्ठ है हमें प्रभु को बारंबार प्रणाम तथा नमन करना चाहिए धन्यवाद देना चाहिए कि उसने हमें भारतवर्ष में जन्म दिया है यहीं पर कथा को विश्राम दिया जाता है और आरती व प्रसाद का वितरण भक्तों में किया जाता है रामकथा में वाद्य यंत्रों पर आचार्य रवि शास्त्री , दिल्ली से सुरेश तिवारी , वृंदावन से विजय मिश्र, श्रावस्ती से पप्पू मिश्रा तथा बलरामपुर से रवि तिवारी ने महाराज का भरपूर साथ दे रहे है।
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